जमशेदपुर। टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (टीएसजेडपी) ने तितलियों की खूबसूरती और पर्यावरणीय महत्व को समर्पित एक अनूठी और अत्याधुनिक सुविधा, बटरफ्लाई हाउस का उद्घाटन किया। यह पहल प्रकृति संरक्षण और जैव विविधता के प्रति जागरुकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसका उद्घाटन टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने किया। इस मौके पर टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रितु राज सिन्हा और जमशेदपुर कंटीन्यूस एनीलिंग एंड प्रोसेसिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अभिजीत अविनाश ननोटी भी उपस्थित थे। इसके अलावा कार्यक्रम में अनेक गणमान्य अतिथियों और कर्मचारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
टाटा स्टील के कर्मचारियों को महत्व और सम्मान देने के अपने मूल सिद्धांत को दर्शाते हुए चाणक्य चौधरी ने चिड़ियाघर की समर्पित कर्मचारी मालती मांझी से अनुरोध किया कि वे रिबन काटकर समारोह का उद्घाटन करें। इस भावपूर्ण पहल ने टाटा स्टील की समावेशिता और अपनी कार्यबल को सम्मानित करने की परंपरा को उजागर किया, जो सम्मान और आपसी प्रशंसा की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
कार्यक्रम का समापन बटरफ्लाई हाउस के एक निर्देशित दौरे के साथ हुआ, जहां मेहमानों ने इसके हरे-भरे परिदृश्य और रंग-बिरंगी तितलियों की प्रजातियों का आनंद लिया। बटरफ्लाई हाउस न केवल जू में एक नई पहल है, बल्कि यह प्रकृति से जुड़ने, प्रेरणा लेने और सीखने का एक विशेष स्थल भी है।
बटरफ्लाई हाउस : एक विवरण
- परियोजना लागत : 1.76 करोड़
- समयावधि : 8 महीने में पूरा
बटरफ्लाई हाउस के मुख्य घटक
एजुकेशन सेंटर : 102 वर्ग मीटर क्षेत्र। बटरफ्लाई ब्रीडिंग एरिया : 175 वर्ग मीटर क्षेत्र। बटरफ्लाई एग्ज़िबिट एरिया : 410 वर्ग मीटर क्षेत्र।
जू की सीमा के अंदर तितलियों की 41 प्रजातियां चिन्हित की गई हैं, जिनमें से 7 प्रजातियां टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में प्रजनन कर रही हैं।
जू ने तितलियों की ग्यारह प्रजातियों के प्रजनन और प्रचार-प्रसार में विशेषज्ञता और कौशल विकसित किया है, जैसे कि प्लेन टाइगर, कॉमन क्रो, कॉमन कैस्टर, एंगल्ड कैस्टर, लाइम बटरफ्लाई, कॉमन मॉर्मन, कॉमन जे, कॉमन इमिग्रेंट, मॉटल्ड इमिग्रेंट, कॉमन ग्रास येलो और स्मॉल ग्रास येलो।
अन्य तितली प्रजातियों के प्रजनन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बटरफ्लाई हाउस की स्थापना के साथ, अब यह संभव होगा कि तितलियों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापित किया जा सके, जिससे न केवल टीएसजेडपी के अंदर बल्कि बाहर भी पारिस्थितिकी तंत्र को स्वाभाविक रूप से पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
तितलियां अपने जीवन-चक्र को चार विशिष्ट चरणों में पूरा करती हैं: अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क तितली। सामान्यतः, लार्वा अंडे से लगभग 3 से 4 दिनों में बाहर निकलता है, जो परिवेश के तापमान पर निर्भर करता है। प्यूपा, लार्वा से विकसित होता है, जिसमें लगभग 7 से 9 दिन लगते हैं। इसके बाद, वयस्क तितली प्यूपा से लगभग 7 से 15 दिनों में बाहर आती है।
तितली का औसत जीवनकाल 15 से 20 दिनों का होता है। इस प्रकार, जन्म से मृत्यु तक जीवन-चक्र पूरा करने में लगभग 35 से 40 दिन लगते हैं। अंडे और प्यूपा के चरण में तितलियों को भोजन की आवश्यकता नहीं होती। लार्वा अपने भोजन के लिए विशेष प्रकार के पौधों की पत्तियों और फूलों पर निर्भर रहता है, जबकि वयस्क तितलियां फूलों के रस (नेक्टर) पर भोजन करती हैं।
पार्क के महत्वपूर्ण कारक
खान-पान, प्रजनन, स्वच्छता, और तापमान-नमी। खान-पान : तितलियों के जीवन-चक्र में केवल लार्वा और वयस्क चरण में भोजन की आवश्यकता होती है। लार्वा अत्यधिक भोजन करता है, इसलिए उसके लिए उपयोग किए जाने वाले गमलों में लगे पौधों को बार-बार बदलना पड़ता है।
मुख्य भोजन पौधे : करी पत्ता, नींबू, साइट्रस प्रजातियां, लैंटाना, कनेर, नीम, अकवन, ब्लड फ्लावर और अरंडी जैसे पौधे लार्वा और वयस्क तितलियों के भोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
तितलियां स्वस्थ पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण संकेतक मानी जाती हैं। यह खाद्य श्रृंखला का अहम हिस्सा हैं, जो पक्षियों, चमगादड़ों और अन्य कीटभक्षी प्राणियों के लिए भोजन का स्रोत बनती हैं।
इसके अलावा, तितलियां कई विशिष्ट शिकारी और परजीवियों को भी सहारा देती हैं, जो अक्सर उनकी खास प्रजातियों या समूहों पर निर्भर होते हैं।
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