संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय में नशा मुक्ति पर जागरुकता कार्यक्रम

झारखंड
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  • एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने किया राष्ट्रीय लोक अदालत पर फोकस

रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त सह डालसा अध्यक्ष के मार्गदर्शन में संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय में नशा मुक्ति पर जागरुकता कार्यक्रम 10 सितंबर को किया गया। इस अवसर पर एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, लाइफ सेवर्स एनजीओ के चीफ अतुल गेरा, मोटिवेटर कमलजीत कौर, सीआईडी डीएसपी राजकुमार यादव, एनसीबी के मनोहर मंजुल, संत अन्ना कॉन्वेंट स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं राजा वर्मा उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतुल गेरा ने कहा झारखंड ना केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार पर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों के लिए नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम उम्र से ही शुरू हो जाती है। पुनर्वास केंद्रों की अधिक जनसंख्या उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने एनडीपीएस एक्ट के संबंध में विधिक जानकारी दी, जिसमें कड़ी सजा के प्रावधान और उन मादक पदार्थों के बारे में बताया। उन पदार्थों का विस्तारण, भंडारण एक जगह-से-दूसरे जगह आयात-निर्यात करना, खरीद-विक्री करना दूसरे व्यक्ति को उसमें सम्मिलित करना एवं प्रोत्साहित करना के संबंध कड़े सजा का प्रावधान है। इसमें 10 वर्ष से 20 वर्ष तक कठोर आजीवन कारावास एवं आर्थिक दंड के रूप में 2 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति जिसे पूर्व में सजा हो गयी हो और दोबारा वहीं अपराध करता है, तो मृत्युदंड का भी प्रावधान है।

श्री सिन्हा ने 28 सितंबर को होनेवाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी जानकारी दी। कहा कि लोक अदालत में सुलभ न्याय मिलता है। समय व धन की बचत होती है। वादी अपने वादों का निस्तारण मध्यस्थता के माध्यम से करा सकते है।

सी.आई.डी- डी.एस.पी. राजकुमार यादव ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।

एनसीबी के मनोहर मंजुल ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते।

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