फसल विविधीकरण एवं प्रसंस्करण पर ज्यादा ध्यान दें एफपीओ : कुलपति

झारखंड कृषि
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  • बीएयू में किसान उत्पादक संगठनों के लिए कार्यशाला

रांची। झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सहायता अनुदान योजना अंतर्गत 12 अगस्‍त को एक प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में किया गया। इसका ‘एफपीओ संवर्धन के आयाम एवं विधियां’ था।

कार्यशाला में बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि झारखंड में 80 प्रतिशत से अधिक किसान लघु एवं सीमान्त हैं। वे बड़े भूभाग में एक ही फसल की खेती करने में समर्थ नहीं हैं। इसलिए एफपीओ को फसल विविधिकरण, प्रसंस्करण, ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग पर ज्यादा ध्यान देना होगा। सामूहिक प्रयास से राष्ट्रीय एवं पडोसी राज्यों के बाजार में पहुंचना होगा।

डॉ दुबे ने कहा कि देश में 10 हजार एफपीओ के गठन एवं प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2020-21 में प्रारंभ की गयी। केन्द्रीय योजना के तहत देश में अब तक लगभग 9 हज़ार एफपीओ गठित हो चुके हैं, जिनमें लगभग 20 लाख अंशधारक जुड़े हुए हैं। कांके एफपीओ को आधार बीज एवं प्रमाणित बीज का उत्पादन करते हुए क्षेत्र में शत प्रतिशत बीज प्रतिस्थापन का लक्ष्य लेकर काम करना चाहिए।

नाबार्ड के उप महाप्रबंधक गौरव कुमार ने जोर दिया कि सभी एफपीओ को ज्यादा से ज्यादा शेयरधारक बनाने चाहिए। प्रत्येक शेयर धारक को कम से कम एक हजार रु अंशदान जमा करना चाहिए, ताकि सरकार से अधिकाधिक इक्विटी ग्रांट प्राप्त हो सके।

बीएयू के कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ डीके शाही ने कहा कि कृषि उत्पादों के विपणन में किसानों को बिचौलियों के शोषण से बचाने में एफपीओ की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के सामाजिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ जीएके कुमार ने कहा कि एफपीओ के माध्यम से सामूहिक प्रयास द्वारा उत्पादन लागत में कमी आएगी। भाड़े पर कृषि यंत्र लिए जा सकेंगे तथा संगठित विपणन से किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

स्वागत जिला कृषि पदाधिकारी रमाशंकर प्रसाद ने और धन्यवाद प्रसार शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ बीके झा ने किया। संचालन शशि सिंह ने किया।

इसके पूर्व कुलपति ने कांके प्रखंड के गारू गांव (सुकुरहुट्टू) में स्थित बीएयू द्वारा बनाये गये ‘सेल्फ सफ़िसिएन्ट सस्टेनेबल सीड सिस्टम फॉर राइस’ नामक किसान उत्पादक संगठन के कार्यालय का उद्घाटन किया। इसके प्रबंध निदेशक राजेंद्र महतो हैं।

कार्यशाला में रांची जिले के 30 एफपीओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, लेखा पदाधिकारियों, प्रखंड तकनीकी पदाधिकारियों, कृषि मित्रों और किसानों ने भाग लिया।

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