Ranchi: सेना जमीन घोटाले में निलंबित IAS छवि रंजन समेत 10 के खिलाफ आरोप तय, जानें आगे

झारखंड
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रांची। राजधानी रांची में सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री करने के आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी छवि रंजन, अमित अग्रवाल समेत 10 आरोपियों के खिलाफ ईडी कोर्ट ने आरोप तय कर दिया है।

बता दें कि, इस मामले में नौ आरोपी जेल में हैं और एक आरोपी जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष जमानत पर है। इससे पूर्व ईडी के विशेष न्यायाधीश राजीव रंजन की अदालत में सोमवार को आरोप गठन पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान छवि रंजन के वकील ने समय दिए जाने की मांग की, लेकिन अदालत ने समय देने से इनकार कर दिया। छवि रंजन के वकील ने दिल्ली से ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ कर आरोप गठन करने पर बहस की।

उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल मामले में निर्दोष हैं, जिसका विरोध ईडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने किया। इसके बाद अदालत ने आरोपितों पर आरोप गठित किया। मामले में ईडी को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 22 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में बंद आरोपितों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश किया गया था, जबकि दिलीप घोष व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित था। छवि रंजन चार मई 2023 से जेल में हैं।

इनपर तय हुआ आरोप

सोमवार को विशेष अदालत ने छवि रंजन, कोलकाता कारोबारी अमित अग्रवाल, बड़गाईं अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, सेना के कब्जे वाली जमीन का फर्जी रैयत प्रदीप बागची, जमीन दलाल रिम्स का कर्मी अफसर अली उर्फ अफ्सू खान, इम्तियाज अहमद, मो. सद्दाम हुसैन, तलहा खान, फैयाज अहमद एवं दिलीप घोष के साथ दो कंपनी भी शामिल है।

इन पर आपसी मिलीभगत से मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर, जालसाजी से रांची में जमीनों की खरीद-बिक्री के आरोपों की पुष्टि हुई है। ईडी की चार्जशीट में बताया है कि भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफियाओं के पक्ष में फर्जी तरीके से इन भूखंडों का नामांतरण किया गया है।

ईडी के अनुसार, रांची के बरियातू थाने में रांची नगर निगम ने सेना के कब्जे वाली जमीन के फर्जी रैयत पर जालसाजी कर जाली दस्तावेज पर दो-दो होल्डिंग लेने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसी प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज कर जांच की।

मामले का ऐसे हुआ खुलासा

अदालत की अनुमति से रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस कोलकाता और रांची के भू-राजस्व विभाग के मूल रिकार्ड की गुजरात के गांधी नगर स्थित फोरेंसिक साइंस निदेशालय से जांच कराई। इन दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच में फर्जीवाड़ा साबित हुआ।