
रांची। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने इस वित्तीय वर्ष में जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम) के रूप में 6 महिला अधिकारियों की नियुक्ति और खूंटी, पाकुड़ और लातेहार में 03 नए डीडीएम कार्यालय खोलने की घोषणा की है। इसके साथ ही, नाबार्ड ने अब राज्य के सभी 24 जिलों में डीडीएम कार्यालय स्थापित कर दिया हैं। ये कार्यालय जिला स्तर पर नाबार्ड के विकासात्मक पहलों की योजना बनाने, इनके निष्पादन और निगरानी के लिए मुख्य केंद्र के रूप में काम करेंगे।
वर्ष, 1982 में स्थापित देश के शीर्ष विकास बैंक के रूप मे नाबार्ड की स्थापना की गयी थी जो ग्रामीण विकास, दीर्घकालीक कृषि पद्धतियों तथा ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास, कौशल, महिला सशक्तीकरण, उद्यम विकास, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और न्यूनीकरण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि पर वित्तीय और गैर-वित्तीय उत्पाद प्रदान करने के लिए वित्तीय संस्थान, बैंक, एनबीएफसी राज्य सरकार की एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करता है।
नाबार्ड झारखंड क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक एस.के. जहागीरदार ने कहा कि महिला अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हैं। वे विकासात्मक गतिविधियों के प्रति एक अनूठा दृष्टिकोण लेकर आती हैं। महिला डीडीएम अपनी नियमित डीडीएम जिम्मेदारियों के अलावा अपने-अपने जिलों में महिलाओं और बच्चों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
विभिन्न जिलों में तैनात की गई महिला अधिकारियों में श्रीमती शिवानी रोशन, (डीडीएम खूंटी), श्रीमती जस्मिका बास्के (डीडीएम पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला), श्रीमती नूतन राज (डीडीएम गोड्डा), श्रीमती दीपा प्रियंका (डीडीएम रामगढ़), श्रीमती रिचा भारती (डीडीएम हजारीबाग) और श्रीमती नीतू कुमारी डीडीएम (आर) रांची शामिल हैं।
इन नए डीडीएम कार्यालयों की स्थापना के साथ, नाबार्ड न केवल अपनी पहुंच का विस्तार कर रहा है, बल्कि झारखंड में ग्रामीण विकास के परिदृश्य को नए आयाम देने का प्रयास कर रहा है। यह रणनीतिक कदम यह सुनिश्चित करता है कि विकास के परिवर्तनकारी लाभ समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों तक पहुँचें, जिससे दीर्घकालीक और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
श्री जहागीरदार ने इस वर्ष के लिए नाबार्ड की प्राथमिकताओं का भी उल्लेख किया, जिसमें कृषि आधारभूत संरचना विकास, सिंचाई कवरेज बढ़ाना और तिलहन, दलहन और बागवानी फसलों को बढ़ावा देना शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती, जलवायु अनुकूल कृषि पद्धति और जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण आने वाले वर्ष में नाबार्ड झारखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय का केंद्र बिन्दु होगा।
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