पटना। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर में ‘समेकित मत्स्य पालन की आधुनिक तकनीकियां’ विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। उक्त प्रशिक्षण का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने किया। प्रशिक्षण में सारण जिले के 30 मत्स्य पालकों के लिए आयोजित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों का ध्यान समेकित मत्स्य पालन की नई तकनीक और उनके लाभों का अनुकूल असर किसानों की आजीविका के उत्थान की ओर आकर्षित करना है।
डॉ. दास ने किसानों से उनकी वर्तमान कृषि पद्धतियों, विशेष रूप से मत्स्य पालन स्थिति का जायजा लिया। उसके बाद उन्होंने विभिन्न उदाहरणों से समेकित मत्स्य पालन के लाभ समझाकर किसानों को इसके लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कैसे कोई किसान समेकित मत्स्य पालन के विभिन्न घटकों, पारंपरिक खेती में मामूली संशोधन, मछली फिंगरलिंग का उत्पादन, तालाब के भंडारण के लिए प्रजातियों का चयन, मछली तालाब के किनारे पर बैंगन की उन्नत किस्म के रोपण, बागवानी पौधों में मल्चिंगऔर टपक सिंचाई आदि से दैनिक आधार पर आवश्यक धन राशि कमा सकते हैं।
प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी एवं सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग के प्रमुख डॉ. उज्ज्वल कुमार ने इस संस्थान में समेकित मत्स्य पालन पर प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर का अधिकतम उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने किसानों से इस प्रशिक्षण से ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया ताकि वे इस ज्ञान को अपने क्षेत्र में दोहरा सकें।
डॉ. अमिताभ डे, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख प्रभारी, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग ने प्रशिक्षण में सम्मिलित प्रत्येक बिंदुओं की महत्ता के बारे में किसानों को अवगत कराया। उन्होंने इस प्रशिक्षण के दौरान इस संस्थान द्वारा प्रदत्त किसानों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के दौरान प्रशिक्षण के समन्वयक के रूप में डॉ. पी.के. राय, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. तारेश्वर कुमार, वैज्ञानिक, डॉ. विवेकानन्द भारती, वैज्ञानिक और डॉ. एस.के. अहिरवाल, वैज्ञानिक उपस्थित थे। साथ ही, डॉ. शंकर दयाल, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. पी.सी. चंद्रन, प्रधान वैज्ञानिक सुनील, वरिष्ठ तकनीशियन अमितेश कुमार (एमटीएस) भी प्रशिक्षण के इस उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे।
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