पुणे। लालच जो न कराए। कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी। पुणे पुलिस ने ब्लड सैंपल की हेरफेर के आरोप में दो लालची डॉक्टरों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आइए जानें क्या है पूरा मामला…
पुणे पुलिस ने बताया कि नाबालिग आरोपी के खून के नमूने में हेरफेर में कथित संलिप्तता के लिए एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। इससे पहले ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों को भी ब्लड रिपोर्ट में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
वहीं हादसा मामले में पुणे पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि रक्त के नमूनों को ससून अस्पताल के एक चिकित्सक के निर्देश पर कूड़ेदान में फेंक दिया गया था और किसी अन्य व्यक्ति के नमूनों को उसके रक्त का नमूना बता दिया गया था।
पुलिस ने बताया की नाबालिग आरोपी के खून की जांच में हेरफेर करने वाले तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यहीं नहीं रक्त नमूने में हेरफेर मामले में गिरफ्तार सभी तीन आरोपियों को 30 मई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
आरोपियों में दो डॉक्टर, फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ अजय तवरे और सीएमओ डॉ श्रीहरि हल्नोर और ससून अस्पताल के एक अन्य कर्मचारी अतुल घटकमल्बे शामिल हैं।
बता दें कि, नाबालिग आरोपी ने कथित तौर पर नशे की हालत में अपनी लग्जरी पोर्श कार से दो बाइक सवारों को टक्कर मार दी थी। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।
हादसे के बाद रिपोर्ट में दावा किया गया था आरोपी ने शराब नहीं पी थी, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में वह अपने दोस्तों के साथ बार में शराब पीते साफ दिखाई दे रहा था। दरअसल आरोप है कि पैसे के लालच में ससून अस्पताल के डॉक्टर ने नाबालिग का ब्लड सैंपल बदल दिया था।
महाराष्ट्र के पुणे की एक अदालत ने कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को उनके चालक के अपहरण और बंधक बनाने के सिलसिले में यरवदा केंद्रीय जेल से हिरासत में लेने की सोमवार को अनुमति दे दी है। अग्रवाल अपने और दो पब के प्रबंधकों और मालिकों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं और केंद्रीय जेल में बंद हैं।
पुणे पुलिस ने अपहरण और बंधक बनाने के मामले में विशाल अग्रवाल के पेशी वारंट के लिए एक आवेदन दायर किया था। पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कोर्ट ने किशोर के पिता के पेशी वारंट के आवेदन को मंजूर कर लिया है और उन्हें जेल से हिरासत में लिया जाएगा।