- बीएयू में विश्व पशुचिकित्सा दिवस
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा है कि पशुचिकित्सक वैसे जीव का ईलाज करते हैं, जो अपना दुख, दर्द और समस्या नहीं बता सकते। इसलिए उनका काम मेडिकल कॉलेज से डिग्री लेने वाले चिकित्सकों से ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण है। पशुचिकित्सकों को अपने प्रोफेशन पर गर्व होना चाहिए।
डॉ दुबे बीएयू के पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में 27 अप्रैल को आयोजित विश्व पशुचिकित्सा दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में अप्रैल माह के अंतिम शनिवार को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जाता है।
कुलपति ने स्थानीय पशु नस्लों के आनुवांशिक सुधार के लिए शोध करने पर जोर दिया। कहा कि ऐसी नस्लें स्थानीय अबोहवा एवं ग्रामीण परिस्थितियों में आसानी से पाली जा सकती हैं। उन्होंने झारखंड में एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए भी योजना बनाने पर जोर दिया।
कुलपति ने पशुचिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हाल में हुई प्रगति पर किसी बड़े विशेषज्ञ का व्याख्यान आयोजित कराने के निर्देश दिये। उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी वर्गों के कर्मियों और विद्यार्थियों के लिए पहचान पत्र बनवाने और उसका नियमित उपयोग करने पर भी जोर दिया।
स्वागत भाषण करते हुए पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि पशुचिकित्सक पशुओं के साथ-साथ मानव, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य के लिए भी काम करते हैं।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ रजनी पुष्पा सिंकू, बीएयू के निदेशक प्रशासन एजाज अनवर, डीन पीजी डॉ एमके गुप्त और वक्तृत्व कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थी रौनक सिंह ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नन्दनी कुमारी ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पशु वैज्ञानिक डॉ सीएम प्रसाद सहित विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर उपस्थित थे।
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