भोपाल। देश में गुरुवार, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर एक दुर्लभ संयोग बनने वाला है, जो सामान्यत: देखने में नहीं आता। इस दौरान मौन रहकर पवित्र नदी एवं तालाबों में स्नान और पितरों का पूजन विशेष फलदायी होगा।
वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय कुमार तिवारी ने सोमवार को बताया कि वर्तमान ग्रहस्थितियों के अनुसार मकर राशि में शनि और बृहस्पति का संचार लम्बे समय से चल रहा है। पिछले माह सूर्य और शुक्र का प्रवेश भी मकर राशि में होने से मकर राशि में चतुर्ग्रही योग बना हुआ है। पांच फरवरी को वक्री बुध का भी इसमें प्रवेश हो गया। अब 09 फरवरी की रात आठ बजकर 31 मिनट पर चन्द्रमा भी मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। इससे मकर राशि में एक साथ छह ग्रह शनि, बृहस्पति, सूर्य, शुक्र, बुध एवं चन्द्रमा उपस्थित रहेंगे। इससे मकर राशि में षड्ग्रह योग बनेगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत दुर्लभ संयोग है और अनेक वर्षों में एक बार बनता है। इसके अच्छे-बुरे दोनों तरह के परिणाम होते हैं। इस बार ये षड्ग्रह योग 09 फरवरी की रात 8.31 बजे से शुरू होकर 11 फरवरी की पूरी रात तक उपस्थित रहेगा।
डॉ. तिवारी ने बताया कि भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर राशि में बनने वाले इस षड्ग्रह योग में छह ग्रह शनि, बृहस्पति, सूर्य, शुक्र, बुध और चन्द्रमा एक साथ होंगे। इसके मिश्रित परिणाम मिलेंगे, जिसमें कुछ विषय बहुत शुभ होंगे, तो कुछ तनावपूर्ण स्थितियां भी सामने आएंगी। सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा, सूर्य-बृहस्पति से जीवात्मा योग, बृहस्पति-चन्द्रमा से गजकेसरी योग और शुक्र-चन्द्रमा से लक्ष्मी योग बनेंगे। ये सभी शुभ योग हैं। शनि-चन्द्रमा की युति से विष योग, सूर्य-चन्द्रमा से अमावस्या योग बनेगा जो तनाव बढ़ाने वाले योग है लेकिन इस पूरे षड्ग्रह योग में सबसे अच्छी बात ये है के चारों शुभ ग्रह (बृहस्पति, शुक्र, बुध, चन्द्रमा) एक साथ आ गए हैं। ये षड्ग्रह योग सामाजिक, राजनैतिक और प्राकृतिक उठापटक तो कराएंगे, लेकिन अधिकांश परिणाम शुभ होंगे।
उन्होंने बताया कि मकर राशि स्वतंत्र भारत की वृष लग्न की कुंडली का नवम भाव है जो भाग्य को दर्शाता है, जिसमें अष्टकवर्ग में कम बिंदु होने के चलते इस राशि में बड़े ग्रहों का गोचर भारत को अधिक कष्ट देने वाला होता है। कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी और सीमा पर चीन से तनातानी से जूझ रहा भारत अप्रैल-मई में किसी बड़े संकट में फंस सकता है। भारत की कुंडली के नवम भाव के 6 बड़े ग्रहों के द्वारा प्रभावित होने के चलते किसी कानून में बदलाव से उथल-पुथल मच सकती है। इसके अतिरिक्त देश में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई को लेकर बड़े राजनैतिक और सामाजिक आंदोलनों की भी आशंका जून तक में दिख रही है। लेकिन मकर राशि में ग्रहों की यह महायुति किसानों के लिए खुशखबरी है क्योंकि इसके चलते अच्छी वर्षा से रबी की अच्छी फसल होगी।
डॉ. तिवारी ने बताया कि कालपुरुष की कुंडली को आधार बनाकर देखें तो मकर राशि में इन छह ग्रहों का एक साथ होना राजयोग निर्मित करता है। इस योग का बनना उन्नति एवं समृद्धि दिखाता है। यानी बीते वर्ष कोरोना और लॉकडाऊन से जो रोजगार एवं आर्थिक समस्याएं बढ़ी थीं, वे सभी इस वर्ष खत्म हो जाएंगी। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए रोजगारों के साथ आर्थिक उन्नति होगी। शनि की राशि में इतने ग्रहों का एकसाथ योग नई तकनीक सामने लाएगा एवं तकनीकी क्षेत्र में सफलता देगा। इस योग में सूर्य, बृहस्पति और शनि एकसाथ हैं, ऐसे में इस वर्ष देश आगे बढ़ेगा। भारत की पुरातन वैदिक संस्कृति सामने आएगी।
उन्होंने बताया कि भारत की कुंडली के अनुसार इस षड्ग्रह योग में खास बात यह भी है कि यह भारत की कुंडली के पराक्रम भाव को सीधी दृष्टि से देखेगा। ऐसे में आने वाले समय में भारत का पराक्रम एवं सैन्यबल और अधिक मजबूत होगा। भारत की कुंडली में यह महासंयोग नौवें भाव में स्थित मकर राशि में होगा। यह भाव कानूनी मामलों और धर्म को इंगित करता है। यह वह समय होगा जब उच्चतम न्यायालय द्वारा अचल संपत्ति और कृषि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए जा सकते हैं। किसान विरोध और गहरा हो सकता है और उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है।
डॉ. तिवारी के अनुसार अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत देखने को मिलेंगे। दूरसंचार, यात्रा, पर्यटन, एयरलाइंस और कच्चे तेल जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सौदे और विकास होंगे। कर्क राशि पृथ्वी और कृषि को भी दर्शाती है। अत: इस दौरान कृषि संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। साथ ही भूकंप, अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा आने की भी आशंका है। उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर किसी नदी-तालाब में जाकर मौन होकर स्नान करना अपने पितरों को तर्पण आदि करना विशेष फल प्रदान करेगा।