सीसीएल रजरप्पा और महुआटांड अवैध खनन का केंद्र

झारखंड
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  • सीमा क्षेत्र का फायदा उठा रहे हैं कोयला तस्कर

प्रिंस वर्मा

रामगढ़। झारखंड का रामगढ़ में स्थित सीसीएल का रजरप्पा और महुआटांड अवैध खनन का केंद्र बन गया है। रजरप्पा की बंद खदानों से प्रत्येक दिन साइकिल और मोटरसाइकिल से अवैध कोयला ढोया जा रहा है। इस कोयले को रामगढ़ के बरलंगा और सिल्ली विधानसभा सीमा क्षेत्र के गेडेवीर के समीप एक फैक्ट्री में जमा कि‍या जा रहा है। इसके बाद ट्रकों के माध्यम से बंगाल के बड़े शहरों में भेजा जा रहा है। अवैध कारोबार में शामिल तस्कर चांदी काट रहे है।

रोजाना कमा रहे हैं लाखों

इस अवैध कारोबार में लगे तस्कर प्रत्येक दिन लाखों कमा रहे हैं। सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है। सीमा क्षेत्र का फायदा कोयला तस्कर जमकर उठा रहे है। बताया जाता है कि रजरप्पा क्षेत्र से चुराए गये कोयले को दोपहिया और साइकिल के माध्यम से भेड़ा नदी पार कर गोला एवं बरलंगा थाना क्षेत्र के कई इलाका होते हुए रांची सीमा क्षेत्र में ले जाया जाता है। हालांकि पुलिस प्रशासन का दावा है कि मेरे क्षेत्र में यह कारोबार पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

तीन चरणों में सारा खेल

कोयले का काला खेल तीन चरणों में होता है। पहले चरण में रजरप्पा की बंद पड़ी खदान या चालू खनन क्षेत्रों से गिरोह के सदस्य कोयला को एक स्थान पर जमा करते हैं। दूसरे गिरोह के सदस्य एक जमा कोयले को साईकिल या मोटरसाईकिल पर लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचते हैं। वहां से गिरोह का संचालक इसे ट्रकों पर लोड कर पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजता है। राज्य के बाहर अवैध कोयला को वैद्य तरीके से भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है या एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते हैं।

अवैध खनन का केंद्र रजरप्पा

रामगढ़ जिले में कोयले के अवैध खनन का केंद्र मुख्य रूप से सीसीएल रजरप्पा है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों साईकिल और मोटरसाईकिलों की मदद से कोयले को लोडकर ले जाया जाता है।

लोगों की चली जाती है जान

कोयला के अवैध खनन के दौरान कई लोगों की जान भी चली जाती है। विडंबना है कि अवैध खनन में अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले लोग भी चुप्पी साध लेते है। हादसे में मरने वाले कोयले के ढेर में ही दफन हो जाते है या परिवार के सदस्य शव को निकालने के बाद चोरी-छिपे अंतिम संस्‍कार कर देते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि कोयला चोरी करते पाए जाने पर खनन कंपनियों की ओर से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है।

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