
रांची। कृष्णा नगर कॉलोनी में गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा ने 16 दिसंबर को सिख पंथ के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का शहीदी गुरुपर्व मनाया। इस उपलक्ष्य में कृष्णा नगर कॉलोनी गुरुद्वारा साहब में रात 8 बजे से विशेष दीवान सजाया गया।
दीवान की शुरुआत स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल के ‘श्री हरकिशन धियाइए जिस डिठे सब दुख जाए..’ शबद गायन से हुई। हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने ‘गुरु तेग बहादुर सिमरियै घर नव निधि आवे धाई सब थाई होए सहाई’..’ शबद गायन कर संगत को निहाल किया।
शहीदी गुरुपर्व में विशेष रूप से शिरकत करने पहुंचे सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई जसप्रीत सिंह जी (सोनू वीर जी) ने ‘तिलक जंझू राखा प्रभु ताका कीनो बडो कलू महि साका, साधन हेत इति जिन करी सीस दिया पर सी न उचरी..’ और ‘धरम हेत साका जिन किआ सीस दिया पर सिर ना दिया..’ एवं ‘मैं गरीब मैं मसकीन तेरा नाम है आधारा..’ जैसे कई शबद गायन कर साथ संगत को गुरुवाणी से जोड़ा।
कीर्तन के साथ कथावाचन करते हुए श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बारे में साध संगत को बताया कि मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुग़लों के हमले के ख़िलाफ़ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया.उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग़ बहादुर (तलवार के धनी) रख दिया.मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को हिंदुओं की मदद करने और इस्लाम नहीं अपनाने के कारण उन्हें मौत की सजा सुना दी। इस्लाम अपनाने से इनकार करने की वजह से औरंगजेब के शासनकाल में उनका सर कलम कर दिया गया।
गुरु जी के त्याग और बलिदान के कारण उन्हें हिन्द दी चादर कहा जाता है। जहां गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी, चांदनी चौक दिल्ली के उसी स्थल पर उनकी याद में शीश गंज साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है, जो उनके धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों को हमें याद दिलाता रहता है।
सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बारे जिक्र करते हुए बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी। ऐसी दूसरी मिसाल दुनिया में नहीं है।
श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुक्मनामा और कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ विशेष दीवान की समाप्ति रात 11.30 बजे हुई। मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया। मौके पर सत्संग सभा द्वारा साध संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर चलाया गया।
दीवान में सभा के प्रधान द्वारका दास मुंजाल, सचिव अर्जुन देव मिढ़ा, सुंदर दास मिढ़ा, हरविंदर सिंह बेदी, अशोक गेरा, चरणजीत मुंजाल, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, हरगोविंद सिंह, सुरेश मिढ़ा, वेद प्रकाश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, नरेश पपनेजा, लक्ष्मण दास मिढ़ा, लक्ष्मण सरदाना, हरीश मिढ़ा, लेखराज अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा, इंदर मिढा, रमेश पपनेजा, प्रेम मिढ़ा, कवलजीत मिढ़ा, महेश सुखीजा, सुभाष मिढ़ा, हरजीत बेदी, जीतू काठपाल, पाली मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, लक्ष्मण दास सरदाना, अमरजीत मुंजाल, पवनजीत सिंह, महेन्द अरोड़ा, मोहन लाल अरोड़ा, जीतू अरोड़ा, नीरज गखड़, अश्विनी सुखीजा, सागर थरेजा शामिल हुए।
इनके अलावा राकेश गिरधर, नीरज सरदाना, ईशान काठपाल, कमल अरोड़ा, रमेश तेहरी, हरविंदर सिंह, उमेश मुंजाल, कमल मुंजाल, गुलशन मिढ़ा, रमेश गिरधर, पंकज मिढ़ा, सूरज झंडई, गौरव मिढ़ा, रौनक ग्रोवर, अमन डावरा, पियूष मिढ़ा, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, रिक्की मिढ़ा, बबली दुआ, गीता कटारिया, मंजीत कौर, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा, बिमला मिढ़ा, तीर्थी काठपालिया, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, श्वेता मुंजाल, उषा झंडई, नीतू किंगर, ममता थरेजा, कंचन सुखीजा, सुषमा गिरधर समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।
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