अनंत चतुर्दशी कल, जानिए मंत्र, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और रोचक कथा

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उज्जैन। हमारे देश में पर्व और त्योहारों का बड़ा महत्व है। इसमें निष्ठा और स्वच्छता काफी मायने रखते हैं। शुभ समय और विधि-विधान से की गई पूजा स्वीकार होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 28 सितंबर, गुरुवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इसलिए इस व्रत का नाम अनंत चतुर्दशी है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और संकट दूर होते हैं। आइए जानें अनंत चतुर्दशी की व्रत विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

जानें अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर, बुधवार की रात 10:19 से 28 सितंबर, गुरुवार की शाम 06:49 तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि का सूर्योदय 28 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाएगा। अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त 28 सितंबर, गुरुवार की सुबह 06:12 से शाम 06:49 तक रहेगा, यानी 12 घंटे से अधिक समय तक।

इस विधि से करें अनंत चतुर्दशी का व्रत

  • अनंत चतुर्दशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • भगवान विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनंत सूत्र (14 गांठ युक्त धागा) को रखकर इसकी भी पूजा करें।
  • सबसे पहले भगवान विष्णु के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। अब रोली, अबीर, मोली, चंदन, फूल आदि चीजें चढ़ाएं।
  • इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं। पूजा के बाद यह प्रार्थना करें…

नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि। यानीह कर्माणि मया कृतानि।।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व। प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।
दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:। प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।।
तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च। प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।

  • प्रार्थना के बाद अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा सुनें तथा रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध लें।
  • रक्षासूत्र बांधते समय ये मंत्र बोलें…
    अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
    अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।
  • ब्राह्मण को भोजन कराएं व दान देकर ससम्मान विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस प्रकार व्रत-पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।

यहां पढ़ें अनंत व्रत की कथा

  • पहले किसी समय में सुमन्तु नामक एक ऋषि थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम शीला था। सुमन्तु ऋषि ने उसका विवाह कौण्डिन्य मुनि से कर दिया।
  • शीला हर साल अनंत चतुर्दशी का व्रत करती थी, जिससे उसका जीवन सुखमय बना रहता था। इनका वैवाहिक जीवन खुशहाल चल रहा था।
  • एक बार क्रोध में कौण्डिन्यमुनि ने शीला के हाथ में बंधा अनंतसूत्र तोड़कर आग में डाल दिया। इससे उनके जीवन में कईं तरह की परेशानी होने लगी।
  • बाद में मुनि को भी अपने किए पर पछतावा हुआ। तब एक दिन भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन देकर अनंत व्रत करने को कहा।
  • कौण्डिन्य मुनि और उनकी पत्नी ने विधि पूर्वक अनंत व्रत किया। इसके प्रभाव से उनका जीवन फिर से सुखमय हो गया।