नई दिल्ली। टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचा-आधारित आर्थिक पुनरुद्धार पर सरकार का केंद्रित दृष्टिकोण कायम रखते हुए बहुत ही प्रगतिशील और विकासोन्मुखी बजट पेश किया। हम सभी प्रस्तावित सुधारों का स्वागत करते हैं। हालांकि, अर्थव्यवस्था में व्यापकता के साथ फायदों के वितरण के लिए इन सुधारों का कार्यान्वयन देखने वाली बात होगी।
हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर सहित इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बढ़े कैपेक्स का गुणात्मक प्रभाव होगा, क्योंकि यह स्टील समेत उत्पाद की विभिन्न श्रेणियों में मांग पैदा करेगा। राष्ट्रीय रेल योजना, जल जीवन मिशन और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क जैसी घोषणाएँ रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगी और कई क्षेत्रों में मांग पैदा करेंगी।
सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच बुनियादी ढांचे के विकास का संतुलन बनाने का काम किया है, जो फिर से बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था और अंततोगत्वा, समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। बजट में गिग इकोनॉमी वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना की घोषणा कर प्रवासी मजूदरों समेत अनौपचारिक क्षेत्र की असंख्य चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है, जो पुनः एक स्वागत योग्य कदम है।
स्टील स्क्रैप पर शुल्क में छूट और स्टील उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती से एमएसएमई क्षेत्र को लाभ होगा। हालांकि, स्टील उत्पादों पर सीमा शुल्क में कमी का स्टील उद्योग पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि आज देश में आयात होने वाले अधिकांश स्टील उन देशों से आते हैं, जिनके साथ हमारा एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) है और इसलिए वे शून्य आयात शुल्क का लाभ उठाते हैं। ।
’कारोबार करने में आसानी’ (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए सरकार का लगातार प्रयास एक स्वागत योग्य अप्रोच है, क्योंकि बजट ने फेसलेस कराधान के दायरे को और अधिक व्यापक कर दिया है, जो अंततः मुकदमेबाजी को कम करेगा।
प्रोडक्ट लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) योजना, डेवलपमेंट फाइनांस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई), एसेट रिकंस्ट्रक्शन ऐंड एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्थापना, वॉलंटरी वेहिकल स्क्रैपेज पॉलिसी (स्वैच्छिक वाहन परिमार्जन नीति), विनियामक जटिलताओं का सरलीकरण, स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलीडे का विस्तार समेत सुधार व उपाय कुल मिला कर अर्थव्यवस्था और विकास को आवश्यक गति प्रदान करेंगे।
सरकार अपनी विनिवेश योजनाओं को लेकर काफी महत्वकांक्षी है। इसने सरकारी परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण पर भी पुनः अपना ध्यान केंद्रित किया है।
कुल मिलाकर, हम इसे एक सुधारवादी बजट कह सकते हैं, क्योंकि यह वित्तीय क्षेत्र समेत सभी प्रमुख क्षेत्रों में निजी खिलाड़ियों की भागीदारी को मान्यता और बल देता है।