
शेली खत्री
केस 1
रातू निवासी 24 वर्षीय श्रुति को लगातार थकान लगती रही थी। वह सुस्त-सुस्त रहने लगी थी और कुछ भी काम करने में थक जाती थी। इसका असर पढ़ाई पर भी होने लगा। रांची स्थित कॉलेज से जाने- आने में वह बुरी तरह थक जाती। घर वाले उसे एक प्राइवेट क्लीनिक में ले गए। जहां सबसे पहले डॉक्टर ने उसे वजन कम करने की सलाह दी। टेस्ट के बाद उसे फटकार लगाते हुए कहा कि शरीर में खून और अन्य पोषक तत्वों की काफी कमी है। श्रुति का बीएमआई 36 था। सिर्फ पैकेट फूड और चाइनीज फूड अधिक खाने के कारण मोटापा बढ़ा था पोषक तत्व नहीं।
केस 2
लालपुर निवासी 30 वर्षीय रमन छाती में बेचैनी महसूस होने के बाद अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने उसे बताया कि उसे हाइपरटेंसिव हृदय रोग है। इतनी कम उम्र में हार्ट डिजिज की बात सुनकर रमन परेशान हो गये। उसका कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ था और जॉब नहीं मिलने की वजह से वह जबरदस्त तनाव में भी था। डॉक्टर ने रमन को मेडिसिन के साथ ही अपनी दिनचर्या और खाने- पीने का तरीका बदलने व सिगरेट छोड़ने की सलाह दी।
जी हां, यह बिल्कुल सही है कि दिल की सेहत आपके अपने हाथ में है। आनुवंशिक हृदय रोग को छोड़ दे तो हृदय रोग के जो अन्य कारण है उसे नियंत्रित कर हृदय रोग की संभावना को 90 प्रतिशत तक कम करना आपके अपने हाथ में है। अगर दोनों केस को देखें तो दोनों ही केस ऐसे हैं, जहां रोकथाम संभव था। गलत खानपान की वजह से श्रुति का बीएमआई बढ़ा और पोषक तत्व शून्य हो गया। वहीं रमन टेंशन और गलत खानपान के कारण हृदय रोग के शिकार हो गये। ऐसी स्थिति आपके साथ नहीं हो, इसके लिए क्या करना चाहिए।
हृदय रोग के कारण व बचाव के संबंध में चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं-
दिल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए दिल का ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। भारत में हृदय रोग खराब लाइफस्टाइल, तनाव, शारीरिक श्रम या एक्सरसाइज नहीं करने और गलत खानपान के कारण ही बढ़ता है। स्थिति इतनी खराब है कि हृदय रोग असामयिक मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।
युवाओं में बढ़ा रोग
गलत जीवन शैली व खानपान की वजह से युवाओं में तेजी से हृदय रोग बढ़ गया है। अकेले झारखंड में पिछले 15 सालों में युवाओं हृदय रोग 35 प्रतिशत तक बढ़ गया है। हालत यह है कि 20-22 साल के युवा भी हृदय रोग से ग्रसित मिल रहे हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक है और इसी समय इस पर रोक लगाने और इसे कम करने की जरूरत है।
4 प्रतिशत बढ़ा है झारखंड का मोटापा
जी हां, यह बिल्कुल सच है कि झारखंड में लोगों में बीएमआई बढ़ने लगा है। बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स। यह बताता है कि आप अपने शरीर और उम्र के अनुपात में अधिक मोटे हैं। यह आपके लिए खतरे की घटी है। बढ़ता हुआ बीएमआई हाइपरटेंशन और हार्ट डिजिज को न्यौता देता है। बीएमआई बढ़ने पर आपके शरीर के जो महत्वपूर्ण अंग हैं जैसे हार्ट, किडनी, लीवर इन सबको अधिक मेहनत करनी पड़ती। इन पर जोर बढ़ता है। पिछले दस साल में झारखंड में बीएमआई 4 प्रतिशत बढ़ गया है। यहां लोग लगातार स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं।
कैसे चेक करें बीएमआई
चलिए लगे हाथ आपको बीएमआई चेक करना भी बताते हैं। बीएमआई निकालना बहुत आसान है। इसके लिए बस आपको अपनी लंबाई और वजन की जनकारी होनी चाहिए। वजन (किलोग्राम)/ ऊंचाईxऊंचाई (मीटर) जो रेशियो आएगा वही आपका बीएमआई है। 19 से कम बीएमआई दुबलेपन की निशानी है। 19 से 24 के बीच बीमएआई हो तो आप सामान्य हैं। 25 से अधिक बीएमआई होने पर यह मोटापे की ओर इशारा है। अगर बीएमआई 30 या उससे ज्यादा है तो आप मोटापा के शिकार हैं। आपको तुरंत वजन कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।
इनसे रहें दूर
दिल की बीमारियों से दूर रहने के लिए कुछ चीजों से दूरी बहुत जरूरी है। अगर यह कर लिया तो हृदय रोग से बचाव संभव है।
कॉलेस्ट्रॉल- कॉलेस्ट्रॉल गलत खान-पान से बढ़ता है। दिल की सेहत के लिए यह जरूरी है कि खान-पान में बदलाव करें। तला भुना नहीं खाएं। मिर्च मसाले और हैवी कैलोरी से बचें। तभी कॉलेस्ट्रॉल ठीक रहेगा।
शराब- शराब दिल की बीमारियों को न्यौता है। शराब से बिल्कुल दूर रहे। अगर पीना भी हो तो साल में एक बार बिल्कुल थोड़ी मात्रा में लें।
सिगरेट- सिगरेट, हुक्का आदि नशे से दूर रहें। ये दिल के साथ ही फेफड़ों को भी नुकसान देते हैं।
तनाव- तनाव बहुत सारी बीमारियों का जन्मदाता है। तनाव को तो जितनी जल्दी नहीं कहें उतना ही अच्छा है।
मोटापा- मोटापा भी बीमारियों का घर होता है। दिल को तो इससे खास दिक्कत होती है। इसलिए मोटापे पर नियंत्रण रखें।
उच्च रक्तचाप
हाई बीपी यानी उच्चरक्तचाप दिल की बीमारियों के लिए उत्तरदायी होता है। अगर हाई बीपी है तो इसे दिल की बीमारी की दस्तक मानते हुए जीवनशैली और खान-पान में बदलाव ले आएं।
खान-पान से है सीधा संबंध
यह बात बिल्कुल सच है कि खानपान से दिल की सेहत का रिश्ता है। और दिल ही क्यों पूरे शरीर पर आपके खान-पान का असर होता है। इसलिए अगर दिल को स्वस्थ रखना है तो अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, अंकुरित अनाज आदि शामिल करना ही होगा। खाने में कैलोरी, नमक, तेल ये सब निर्धारित मात्रा के अंदर ही लें। जो लोग नॉनवेज खाते हैं वे भी इसकी मात्रा का ध्यान रखें। एक बार में अधिक नहीं खाएं। सप्ताह में दो दिन से ज्यादा तो बिल्कुल नहीं लें। इसके साथ ही अगर ट्रेडिशनल फूड को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकें तो यह सोने पर सुहागा वाली बात होगी।-डॉ कुमारी मिनाक्षी, डायटीशियन
दिल को मेहनत पसंद है
अगर शरीर फीट होगा तभी दिल भी फीट होगा। कुछ समस्याएं जन्मजात होती हैं और कुछ हम अपनी जीवनशैली के कारण बुलाते हैं। दिल की बीमारी को न्यौता नहीं दें। शारीरिक श्रम को महत्व दें। दिल को मेहनत पसंद है। आप जानते हैं, दिल ताउम्र काम करता है कभी आराम तो करता ही नहीं है। इसलिए आप भी सक्रिय रहें। योगा या एक्सरसाइज जो भी आपकेा सूट करें, इसे रूटीन में डालें। अगर यह संभव नहीं हो तो एक घंटे पैदल जरूर चलें। ठंड अधिक है तो कमरे में टहलें पर टहलें जरूर। यह पूरे शरीर के मेटाबॉलिज्म को ठीक करने में आपकी मदद करता है। बीएमडब्ल्यू को बढ़ने न दें। इसके साथ ही एक जरूरी काम आप और करें अपने खान- पान को संतुलित करें और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें।-डॉ सतीश चंद्र, एनएमसीएच