बीएयू कुलपति की मौजूदगी में शुरू हुई चालू खरीफ मौसम में पहली धान रोपनी

कृषि झारखंड
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  • किसान ऊपरी जमीन की परती खेत में धान को छोड़कर अन्य खरीफ फसलों की बुआई करें : डॉ ओंकार नाथ सिंह

रांची। वर्तमान खरीफ मौसम में वर्षापात की विषम स्थिति को देखते बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने उपलब्ध सिंचाई साधनों का सदुपयोग करते हुए ससमय धान रोपनी एवं अन्य खरीफ फसलों की बुआई पूरा करने का निर्देश दिया है। बीएयू के निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र के नार्थ-ईस्टर्न फार्म में 10 जुलाई को कुलपति की मौजूदगी में बीजोत्पादन कार्यक्रम के तहत चार एकड़ भूमि में पहली धान रोपनी शुरू की गयी। इसमें धान की स्वर्ण शक्ति प्रभेद के आधार बीज के 20-25 दिन वाली बिचड़े की रोपाई की गयी। 125 दिनों की अवधि वाली स्वर्ण शक्ति प्रभेद की उपज क्षमता 42 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मौके कुलपति ने कहा कि फसलोत्पादन में बेहतर उपज के लिए सही समय पर रोपाई या बुआई किया जाना जरूरी है। उन्होंने बारिश में कमी के बावजूद धान की रोपाई के लिए वैज्ञानिकों के प्रयास की सराहना की। बताया कि प्रदेश में धान की रोपाई का आदर्श समय जुलाई है।

प्रदेश में बारिश में कमी और विषम मौसम की परिस्थिति को देखते हुए किसान कम अवधि या मध्यम अवधि वाले धान प्रभेद का चयन करें। उन्होंने किसानों को ऊपरी जमीन की परती खेत में धान फसल को छोड़कर अरहर, उरद, मूंग, मड़ुआ, ज्वार आदि की बोवाई मेढ़ बनाकर जल्द से जल्द समाप्त करने की सलाह दी।

मौके पर मौजूद शस्य वैज्ञानिक डॉ आरपी मांझी ने बताया कि फार्म के दस हेक्टेयर भूमि में धान बीजोत्पादन कार्यक्रम के अधीन धान की रोपाई की जायेगी। इस कार्यक्रम में धान की स्वर्ण श्रेया, सीआर धान-320, एमपीयू 10-10, सहभागी, बीवीएस -1 एवं एमपीवी 70-29 (स्वर्णा) के आधार बीज से तैयार बिचड़े की रोपाई की जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रभेदों का सत्यापित बीज उत्पादन किया जायेगा।

डॉ मांझी ने बताया कि निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र के अधीन बीजोत्पादन कार्यक्रम के तहत खरीफ फसलों में अरहर, सोयाबीन, मड़ुआ, ति‍ल एवं ढेंचा की बुआई का कार्य प्रगति पर है। विवि में पहले धान रोपाई के अवसर पर एचएन दास, अदीप सिंह, बाबूलाल महतो, मंदराज महतो, हीरालाल महतो आदि भी मौजूद थे।