खूंटी। झारखंड खूंटी जिले में जल संचयन और जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीणों ने अस्तित्व खो रहे बनई नदी को बचाने का काम किया। इससे जोश मिला। अब ग्रामीण तजना नदी को बचाने में जुट गये हैं।
अभियान के तहत 8 जून को तजना नदी पर खूंटी की तिरला पंचायत अंतर्गत सारिदकेल गांव के पास ग्रामीणों ने श्रमदान कर बोरीबांध बनाया। ग्रामीणों के उत्साहवर्द्धन के लिए पंचायत के मुखिया फागू मुंडा ने भी श्रमदान किया।
अच्छी चीजों को संग्रहित करने पैदल ही झारखंड भ्रमण पर निकले बोकारो के आर्या गुप्ता भी श्रमदान से हो रहे बोरीबांध को करीब से जानने पहुंचे। आर्या गुप्ता तपती धूप में पानी के लिए श्रमदान करते लोगों को देखकर प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए यह अनूठा प्रयास है।
गांव के 20 लोगों ने सुबह के 7 से दोपहर 12 बजे तक श्रमदान किया, जिसके बाद बोरीबांध बनकर तैयार हो गया। गांव के गेंदा मुंडा और बिशु मुंडा ने बताया कि उनके गांव के पास से होकर बहने वाली तजना नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसे बचाना जरूरी है। पहले नदी में सालों भर पानी रहता था। अब गर्मी के दिनों में पानी का बहाव थम जाता है।
ऐसे में किसानों के साथ आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। इसके साथ ही इसी नदी पर सरकार की ओर से सारिदकेल में छह सोलर लिफ्ट एरिगेशन सिस्टम लगाए जा रहे हैं। इसके लिए पानी की जरूरत होगी। उसी कमी को पूरा करने और तजना नदी को बचाने के उद्देश्य से बोरीबांध का निर्माण किया गया।
मुखिया फागू मुंडा ने कहा कि पानी की हर जरूरतों को पूरा करने के लिए बोरीबांध बनाया गया है। इससे भूगर्भीय जल स्तर भी उपर आएगा। मुखिया ने बताया कि अगले दो-तीन दिनों के अंदर एक और बोरीबांध का निर्माण किया जाएगा।