रांची। एकीकृत बिहार और झारखंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का वर्षों से अंतर जिला स्थानांतरण होता रहा था। फिर विभाग ने शिक्षक स्थानांतरण नियमावली में संशोधन कर दिया गया।
शिक्षकों का कहना है कि नियमावली में संशोधन कर इसे जटिल बना दिया गया है। पिछले कई वर्षों से अंतर जिला स्थानांतरण रूका हुआ है। यह दुर्भाग्य है कि जो स्थानांतरण पहले आसानी से होता था, आज उसके लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
राज्य के शिक्षकों को गृह जिला की सुविधा पूर्व के स्थापित नियमों के आधार पर शिक्षा एवं शिक्षकों के हित में किया जाना चाहिए। वर्तमान शिक्षक स्थानांतरण नियमावली-2022 में पूर्व की भांति शिक्षकों को पूरे सेवा काल में एक बार गृह जिला स्थानांतरण कि सुविधा को समाप्त कर दिया गया है। इस कारण शिक्षक-शिक्षिकाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा असर झारखंड कि शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है।
विनोद कुमार का गृह जिला हजारीबाग है। वह धनबाद में पदस्थापित हैं। उनकी मां कैंसर से पीड़ित है। पिताजी दिव्यांग हैं। वह घर के इकलौता संतान हैं। उन्हें 130 किलोमीटर आना-जाना पड़ता है। इससे वह मानसिक दबाव में रहते हैं। वह अपने माता-पिता का सेवा नहीं कर पा रहे हैं।
सकलदेव रविदास का गृह जिला चतरा है और वह साहिबगंज में कार्यरत हैं। उनकी मां बूढ़ी है। पत्नी सहिया में काम करती हैं। इससे दोनों अलग रहते हैं। लगातार दो दिन की छुट्टी में भी दूरी की वजह से घर नहीं जा पाते हैं। इस वजह से मां की सेवा भी नहीं कर पाते हैं।
पाकुड़ में पदस्थापित बिनोद कुमार महतो का गृह जिला रामगढ़ हैं। पिताजी की मृत्यु उनके पदस्थापन से पहले ही हो गई। बड़ी भाभी का असमायिक मृत्यु हो गई। चार महीने बाद मां की ब्रेन हेमरेज हो गई। खुद गले की बीमारी पीड़ित हैं। एलर्जी से परेशान रहते हैं। सामान्य परिस्थिति में नहीं तो कम से कम पारस्परिक तबादला होनी चाहिए।
रांची के तमाड़ प्रखंड में पदस्थापित अरदान मिंज का गृह जिला गढ़वा का रामकंडा प्रखंड है। उनके पत्नी अपने जिला में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत है। पिताजी नहीं हैं। मां बूढ़ी हो गई है। पत्नी घर में परेशान रहती है। बाहर रहकर शिक्षण कार्य करना बहुत मुश्किल है।
लातेहार में सहायक शिक्षिका अंजु सिंह रामगढ़ की रहने वाली है। बीमार मां उनके पति के साथ रहती है। वह सारी परेशानी दामाद से नहीं बता पाती है, जिसके कारण उनके साथ रहना जरूरी हो जाता है। ट्रांसफर गृह जिला हो जाने पर कर्तव्य का पालन करते हुए तनाव मुक्त होकर नौकरी भी कर सकती है।
रामगढ़ निवासी सहायक शिक्षिका तनुजा सिंह गिरिडीह में पोस्ट है। उनके बूढ़े रिटायर्ड ससुर हैं। बूढ़ी सास हैं, जो हमेशा बीमार रहती हैं। उनका लगातार रांची से इलाज चल रहा है। पति की भी तबीयत 1 वर्ष से सही नहीं रहती है। उन्हें चलने और कोई काम करने में बहुत परेशानी होती है। हमेशा मानसिक तनाव में रहती हैं।
सहायक शिक्षिका कुमारी सुनीता किरण देवघर में पोस्टेड है। गृह जिला हजारीबाग है। उनकी सास नहीं हैं। ससुर बूढ़े हैं और वह बीमार रहते हैं। पति दिब्यांग हैं। वह अपने परिवार का देखभाल अच्छी तरह से नहीं कर पा रही है। मानसिक तनाव में रहकर ड्यूटी कर रही है।
साहिबगंज में पदस्थापित निर्मल कुमार का गृह जिला धनबाद है। वह पिताजी का मात्र संतान हैं। पिता मधुमेह के मरीज हैं। देखभाल करने वाला घर पर और कोई नहीं है। कई बार स्कूल जाने के क्रम में दुर्घटना का भी शिकार हो चुके हैं।