- राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश के कोर कमेटी की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा
Jharkhand : रांची। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश के कोर कमेटी की बैठक रांची के अरगोड़ा में 4 अप्रैल को हुई। महासंघ के प्रांत संयोजक आशुतोष कुमार ने इसकी अध्यक्षता की। इसमें महासंघ की राज्य कार्यकारिणी के विस्तार पर चर्चा हुई। सभी जिला इकाइयों के अध्यक्ष और महामंत्री के साथ राज्य प्रतिनिधियों से कॉन्फ्रेंसिंग कॉल के माध्यम से विचार विमर्श किया गया। इसके अलावा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
मौके पर शिक्षा सचिव द्वारा निर्गत आदर्श दिनचर्या की समीक्षा की गई। सदस्यों ने कहा कि उक्त दिनचर्या से झारखंड की शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। भिन्न-भिन्न सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को राज्य में रोबोटिक की तरह से एक समान दिनचर्या लागू लागू करना अव्यवहारिक होगा।
पदधारियों ने कहा कि मात्र शैक्षणिक काल बढ़ाने से ही शिक्षा में गुणवत्ता को प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए छात्र एवं कक्षा के अनुरूप शिक्षक की उपलब्धता, विद्यालयों में जरूरी भौतिक संसाधनों के साथ पीने के पानी एवं खेल मैदान आदि की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करनी होगी। इसके बाद ही मानक राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप गुणवत्तायुक्त शिक्षा व्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
सदस्यों ने कहा कि आरटीई के मानक वार्षिक शैक्षणिक घंटे से लगभग 350 घंटे ज्यादा वार्षिक शिक्षण कार्य सरकारी विद्यालयों में किए जा रहे हैं। इसके बाद भी सिर्फ शैक्षणिक घंटे पर जोर देना अव्यावहारिक सोच से ज्यादा कुछ भी नहीं है।
भीषण गर्मी में अपराह्न 1 से 2 तक और सर्दी में अपराह्न 3 से 4 तक खेलकूद की गतिविधियां विद्यार्थियों की सेहत के अनुकूल नहीं है। इसके साथ बच्चों को 6 से 7 घंटे तक लगातार विद्यालय में ठहराव, बाल मनोविज्ञान मोंटेसरी, मोंटेसरी शिक्षा व्यवस्था के प्रतिकूल होगी। इससे बच्चों में शिक्षा के प्रति अरुचि पैदा होगी। बच्चों में ड्रॉपआउट बढ़ने की आशंका बढ़ेगी।
महासंघ ने कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे प्रातःकालीन विद्यालय में बिना खाना खाए आते हैं। उन्हें 11.30 बजे तक भूखे पेट रखना उनके नैसर्गिक अधिकार से वंचित रखने के समान होगा। इस संबंध में झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा के बैनर तले मुख्यमंत्री से लेकर राज्य के तमाम शिक्षा पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। वार्ता के माध्यम से उक्त समस्याओं का निराकरण करने की पहल की जाएगी।
सदस्यों ने कहा कि विभाग के द्वारा विकसित ई विद्या वाहिनी एप के माध्यम से पूरे राज्य के शिक्षक अपने मोबाइल से प्रतिदिन अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा पूर्व में सभी विद्यालयों को टेबलेट आवंटित किया गया था, जो अब पूरी तरह खराब हो चुका है। महासंघ ने सरकार से बार-बार उच्च गुणवत्तायुक्त टेबलेट उपलब्ध कराने की अपील की, परंतु अभी तक इस संबंध में पहल नहीं हुई है।
गोड्डा जिला के प्रतिनिधि ने बताया कि जिला में महज 1 या 2 मिनट अपने मोबाइल में उपस्थिति दर्ज करने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर उनका वेतन रोकने का आदेश जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया है। सदस्यों ने कहा कि ऐसा करना शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का द्योतक है। इस संबंध में जिला के शिक्षा पदाधिकारी से बातकर यथाशीघ्र ऐसे पत्र जारी करने से बचने की सलाह दी गई। इस संबंध में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता से मिलकर कानूनी सलाह-मशविरा महासंघ ने किया है।
इसके अतिरिक्त शिक्षकों की सेवा शर्त के अनुरूप अंतरजिला स्थानांतरण, उत्क्रमित वेतनमान, सभी ग्रेड में प्रोन्नति आदि की मांग सरकार के समक्ष रखे जाने की कार्य योजना पर कार्य करने की रणनीति बनाई गई।
बैठक में प्रांत सह संयोजक विजय बहादुर सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास, गोड्डा जिला इकाई के राज्य प्रतिनिधि गौतम बैरागी शामिल हुए।