नई दिल्ली। सीजेआई सूर्यकांत ने रोहिंग्या घुसपैठियों पर अपनी टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना करने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों के एक समूह को करारा जवाब दिया।
सुप्रीम कोर्ट में 2 दिसंबर 2025 को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश की पीठ ने रोहिंग्या घुसपैठियों के मामले में सवाल उठाया कि जिस स्थिति को वह कोर्ट में दावा कर रहे हैं, उसका कानूनी आधार क्या है। किसने उन्हें प्रवासी/शरणार्थी का दर्जा दिया है? यह सवाल न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा था, लेकिन कुछ वकीलों और बुद्धिजीवियों ने इसे आपत्तिजनक या असंवेदनशील बताया।
कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों, बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्ट ने सीजेआई की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणी कि संविधान के तहत सभी व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की अवहेलना कर सकती है।
बिना स्पष्ट सरकारी नीति के “शरणार्थी” शब्द का राजनीतिक या नकारात्मक इस्तेमाल संवेदनशीलता को कम कर सकता है। खुले तौर पर कोर्ट की प्रक्रियाओं पर टिप्पणी करना न्यायपालिका की गरिमा और तटस्थता पर असर डाल सकता है। खासकर जब मामला संवेदनशील समूहों से जुड़ा हो।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने इस आलोचना पर कड़ा और स्पष्ट प्रतिक्रया दी है। सीजेआई ने कहा कि मैं ऐसे दबाव से नहीं डरता। कुछ लोग न्यायाधीशों को कठिन प्रश्न पूछने से रोकने के लिए ‘सामूहिक प्रयास’ कर रहे हैं।
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