राष्ट्रपति ने की आपातकाल की घोषणा
नई दिल्ली। दिल दहला देने वाली खबर श्रीलंका से आई है, जहां चक्रवात ‘दितवाह’ के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही मची है।
200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा में भारत ने पड़ोसी धर्म का पालन किया और एनडीआरएफ की टीम को राहत और बचाव कार्य में लगा दिया है। श्रीलंका के आपदा प्रबंधन केंद्र की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार से अब तक 212 लोगों की मौत हो चुकी है और 218 लोग लापता हैं। डीएमसी ने बताया कि 998918 लोग प्रभावित हुए हैं।
चक्रवात ‘दितवाह’ के कारण श्रीलंका बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहा है। भूस्खलन की वजह से कई सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। चक्रवात की श्रीलंका से विदाई हो गई है, लेकिन बाढ़ की स्थिति अब भी बनी हुई है। कई इलाकों में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन विनाश का असली रूप दिखने लगा है।
भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और भारतीय वायुसेना के कर्मी लोगों की जान बचाने में श्रीलंकाई अधिकारियों की सहायता के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा- एनडीआरएफ के कर्मी श्रीलंका में स्थानीय अधिकारियों के साथ करीबी समन्वय के तहत राहत अभियान जारी रखे हुए हैं। भारत ने ऑपरेशन सागर बंधु के तहत एनडीआरएफ के 80 कर्मियों के दो तलाश एवं बचाव दलों को श्रीलंका भेजा है।
चक्रवात के कारण भारी तबाही को देखते हुए श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने आपातकाल की घोषणा की थी। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार भी लगाई थी।
बताते चलें कि, 2017 के बाद श्रीलंका में यह सबसे बड़ा प्राकृतिक आपदा है, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए थे। हालांकि 2003 में भीषण बाढ़ आई थी, जिसमें 254 लोगों की मौत हो गई थी।
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