सरला बिरला पब्लिक स्कूल में CBSE क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी शुरू

झारखंड
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रांची। सरला बिरला पब्लिक स्कूल में दो दिवसीय CBSE क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी 2025-26 का शुभारंभ 11 नवंबर को हुआ। इसका थीम ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लिए स्टेम (विज्ञान, प्राद्योगिकी, अभियंत्रण एवं गणित)’ है। दो दिवसीय प्रदर्शनी में क्षेत्र के 45 से अधिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि सीबीएसई के रीजनल ऑफिसर राम वीर थे। इस अवसर पर सरला बिरला विश्वविद्यालय डायरेक्टर जनरल प्रो. (डा.) गोपाल पाठक, एसबीयू के कुलपति प्रो. (डा.) जगनाथन चोकलिंगम, एसबीयू के रजिस्‍ट्रार प्रो. एस.बी. डंडिन, छह निर्णायक, विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह में विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा नृत्य नाटिका “उन्नति की उड़ान” ने भारत के 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के स्वप्न को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। रंगीन कोरियोग्राफी और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया।

औपचारिक उद्घाटन के बाद आगंतुकों ने विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित विभिन्न नवाचारों और मॉडलों का अवलोकन किया। ये सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, रोबोटिक्स, पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी नवाचार पर आधारित थे।

छात्रों द्वारा प्रस्तुत विज्ञान मॉडल सतत कृषि, गणितीय मॉडलिंग, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, हरित ऊर्जा, उभरती प्रौद्योगिकियां, अपशिष्ट प्रबंधन एवं प्लास्टिक के विकल्प, जल संरक्षण एवं प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित थे। ये सभी “विकसित और आत्मनिर्भर भारत” की भावना को प्रतिबिंबित कर रहे थे।

मुख्य अतिथि राम वीर ने 21वीं सदी में स्टेम शिक्षा के बढ़ते महत्व पर बल दिया। बताया कि इसका उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कृषि और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विविध क्षेत्रों में हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे कक्षा में सीखे गए ज्ञान को वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान में लागू करें।

प्रो. (डा.) गोपाल पाठक ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी “विकसित भारत” और “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने भारत के प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक के वैज्ञानिक योगदानों पर प्रकाश डालते हुए युवाओं से इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती मनीषा शर्मा ने विद्यालय की उस दृष्टि पर जोर दिया जो विद्यार्थियों में अनुसंधान-आधारित शिक्षण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि स्टेम केवल विषयों का समूह नहीं, बल्कि  सोचने का एक तरीका है जो सहयोग, आलोचनात्मक विश्लेषण और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

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