युवा कृषि परंपरा को अपनाकर बेहतर भविष्य एवं राष्ट्र का कर सकते हैं निर्माण : प्रो. रमेश

झारखंड
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  • आईआईएम रांची में नीति संवाद श्रृंखला के तहत प्रो. रमेश चंद ने दिया व्याख्यान

रांची। भारतीय प्रबन्धन संस्थान रांची में पॉलिसी कन्वर्सेशन सीरीज़ का आयोजन 24 अक्‍टूबर, 2025 को हुआ। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। मौके पर संस्थान की ओर से तैयार “रिसर्च मेथड्स ग्रुप (आरएमजी)” का औपचारिक उद्घाटन किया गया।

स्वागत सम्बोधन करते हुए प्रो. कुशाग्र शरण ने रिसर्च मेथड्स ग्रुप की अवधारणा और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश-विदेश के संस्थान आज आपसी सहयोग के माध्यम से शोध कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में आरएमजी का उद्देश्य अन्य शैक्षणिक संस्थानों को आईआईएम रांची के साथ जोड़कर नवीन शोध गतिविधियों से प्रेरित करना है।

यह समूह शोधकर्ताओं की दार्शनिक नींव, कार्यप्रणाली एकीकरण और विश्लेषणात्मक क्षमताओं पर केंद्रित रहेगा-जिसमें मात्रात्मक, गुणात्मक और मिश्रित शोध विधियों का प्रयोग, सांख्यिकीय और संगणकीय विश्लेषण उपकरणों का उपयोग, शोध सहयोग की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संभावनाओं को बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जायेंगे।

आईआईएम रांची के निदेशक प्रो. दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि प्रबंधन संस्थानों के शोध कार्य शासन एवं सार्वजनिक नीतियों को दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में आरएमजी एक सार्थक पहल सिद्ध होगी। संस्थान समाज के लिए उत्तरदायी प्रबंधक तैयार करने की दिशा में कार्य कर रहा है।

प्रो दीपक ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप क्षमता निर्माण और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संस्थान निरंतर प्रयासरत है। ऐसे में शोध को ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के प्रश्नों पर आधारित रखना जरूरी है, जिससे हम भविष्य की संभावनाओं का अधिकतम लाभ उठा सकें।

मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चंद ने अपनी शैक्षणिक यात्रा को साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने बीएससी ऐग्रिकल्चर के बाद शोध कार्य को अपना जीवन-लक्ष्य बनाया। उनके पिता उन्हे एमबीए करना चाहते थे, प्रबंधन सिकक्षण संस्थान में दाखिले के क्रम में मिली असफलता ने उन्हे शोध की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

प्रो चंद ने कहा कि देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को शोध एवं नवाचार की नई पद्धतियां विकसित करनी चाहिए, ताकि आम नागरिक तक नई तकनीक और प्रबंधन ज्ञान पहुंच सके। उन्होंने कहा कि सरकार विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में प्रत्येक क्षेत्र की संभावनाओं को सशक्त बना रही है, ताकि भारत आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर सके।

प्रो. रमेश ने विशेष रूप से कृषि क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह क्षेत्र न केवल देश के विकास की रीढ़ है, बल्कि आगे की प्रगति का माध्यम भी बन सकता है। उन्होंने बताया कि आज भी देश की लगभग 46 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। वर्ष 2015–16 से 2024–25 के बीच कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.45 प्रतिशत रही है। उत्पादन में वृद्धि से न केवल देशवासियों को लाभ होगा, बल्कि निर्यात बढ़ाकर भारत अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकता है।

प्रो. रमेश ने फील्ड क्रॉप्स और हॉर्टिकल्चर फसलों की उत्पादन संभावनाओं पर चर्चा की, साथ ही  प्रबंधन के छात्रों को कृषि क्षेत्र के अवसर से प्रेरित किया। उन्होंने छात्रों को कृषि क्षेत्र में योगदान देने और इसके प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम के समापन सत्र में विद्यार्थियों ने प्रो. रमेश चंद से नीति और कृषि क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रश्न पूछे तथा विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में अपने योगदान की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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