- शिक्षण व्यवस्था में सुधार के निर्देश, जर्जर भवन पर जताई गंभीर चिंता
गणपत लाल चौरसिया
गुमला। जिला मुख्यालय स्थित अम्बेडकर नगर स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय का गुरुवार को जिला शिक्षा अधीक्षक नूर आलम खान ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान 9 में से 8 शिक्षक उपस्थित पाए गए। एक शिक्षक आकस्मिक अवकाश पर थे।
निरीक्षण के समय वर्ग 2 और 3 की कक्षाएं संचालित नहीं हो रही थीं। इस पर डीएसई ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधानाध्यापक से स्पष्टीकरण की बात कही। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है। कक्षा संचालन में किसी भी प्रकार की ढिलाई स्वीकार्य नहीं है।
जर्जर भवन और टूटी बाउंड्री पर सख्त
विद्यालय भवन की जर्जर स्थिति और एक ओर की बाउंड्री दीवार ढह जाने पर वे गम्भीर दिखे। डीएसई ने कहा कि जर्जर भवन का मामला पूर्व से चर्चित रहा है। दिशा समिति की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था। डीएसई ने वास्तविक स्थिति का अवलोकन करते हुए अनुदान राशि से प्राथमिकता पर मरम्मत कार्य कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालय परिसर सुरक्षित रहेगा, तभी शिक्षा का वातावरण प्रभावी बनगा। यदि मरम्मत में बाधा आए, तो लिखित सूचना दें। प्रशासन स्तर पर समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
बच्चों के साथ भोजन कर बढ़ाया उत्साह
मिड-डे-मील की गुणवत्ता की जांच के दौरान डीएसई ने स्वयं बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया। भोजन की गुणवत्ता संतोषजनक पाई गई। इससे बच्चों और स्टाफ में स्पष्ट उत्साह और सकारात्मकता देखने को मिली। बालकों ने बताया कि सर हमारे साथ भोजन किए, बहुत अच्छा लगा।” स्टाफ ने भी कहा कि इस तरह की भागीदारी से प्रेरणा और भरोसा बढ़ता है। डीएसई ने कहा कि मिड-डे-मील सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि बच्चों में आत्मीयता और विद्यालय से जुड़ाव का माध्यम है। इसका मानक हर हाल में बेहतर रहना चाहिए।
बच्चों के लर्निंग आउटकम की जांच
डीएसई ने सभी कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों से प्रश्न पूछे। उनकी अधिगम स्तर की समीक्षा की। उन्होंने शिक्षण पद्धति को और प्रभावी एवं गतिविधि आधारित बनाने पर विशेष जोर दिया।
अनुशासन पर संवेदनशील समाधान
हाल ही में कुछ छात्रों को ‘शर्तीय रोक’ के चलते कक्षा से अलग किए जाने की बात सामने आई थी। डीएसई ने अभिभावकों और बच्चों से बात की और निर्देश दिया कि बच्चों को परामर्श देकर, विश्वासपूर्ण वातावरण बनाते हुए पुनः नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल कराया जाए।
विद्यालय में शिक्षण की गुणवत्ता, बच्चों की उपस्थिति और परिसर सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई निश्चित है। सुधार की दिशा में निरंतर सहयोग दिया जाएगा।
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