पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे रामचंद्र रुंगटा ने रविवार को दिल्ली में ली अंतिम सांस
रांची। दुखद खबर आई है, झारखंड के जाने-माने उद्योगपति रामचंद्र रुंगटा का रविवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था।
उनके निधन की खबर मिलते ही झारखंड के व्यापार जगत में शोक की लहर दौड़ गई। राजनेताओं, व्यापारियों और रामगढ़ के लोगों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
स्वर्गीय रामचंद्र रुंगटा अपने पीछे तीन पुत्र-अभिषेक रुंगटा, आलोक रुंगटा और आशीष रुंगटा समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। पूरे रुंगटा परिवार के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों ने शोक संवेदना प्रकट की है। सभी का कहना है कि व्यवसाय के क्षेत्र में उनके योगदान को रामगढ़ और झारखंड कभी नहीं भुला पाएंगे।
बताते चलें कि, रामचंद्र रुंगटा का जन्म एक सामान्य व्यापारी परिवार में हुआ था। वर्ष 1975 में उन्होंने कोयला व्यवसाय से अपने करियर की शुरुआत की। वे 4 भाई थे, जिनका नाम रामस्वरूप रुंगटा, महावीर रुंगटा, नंदलाल रुंगटा और रामचंद्र रुंगटा है।
बड़े भाई रामस्वरूप रुंगटा माइनिंग इंजीनियर थे और धनबाद क्षेत्र में कार्यरत थे। उन्होंने ही अपने भाइयों को इस क्षेत्र में व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया।
रामचंद्र रुंगटा ने अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर हजारीबाग और रामगढ़ के विभिन्न कोयलांचल क्षेत्रों से कोयले का कारोबार शुरू किया। वर्ष 2002 में उन्होंने झारखंड इस्पात नाम से अपनी पहली स्पंज आयरन फैक्ट्री की स्थापना की।
इसके बाद उन्होंने आलोक स्टील और मां छिनमस्तिका स्टील जैसी फैक्ट्रियों की नींव रखी। धीरे-धीरे उनका कारोबार झारखंड से बढ़कर देश के औद्योगिक जगत में पहचान बनाने लगा।
रामचंद्र रुंगटा अपने कार्यों को लेकर हमेशा सजग और अनुशासित रहे। वे फैक्ट्री के छोटे-छोटे कार्यों पर भी खुद नजर रखते थे। अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के बीच वे सरल स्वभाव और मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते थे।
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