इस साल भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड, मौसम वैज्ञानिकों ने बताई ये बड़ी वजह

नई दिल्ली देश
Spread the love

नई दिल्ली। भारत में इस साल रिकॉर्ड तोड़ बारिश के बाद कड़ाके की ठंड भी पड़ने वाली है। आईए जानते हैं इसकी वजह… दुनिया के मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत तक ला नीना की परिस्थितियां विकसित हो सकती हैं।

इसके कारण मौसम का पैटर्न प्रभावित होगा और भारत में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की 71% संभावना है। यह संभावना दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच थोड़ा घटकर 54% हो जाती है, लेकिन ला नीना वॉच प्रभावी है।

ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से में समुद्र सतह के तापमान के ठंडा होने की स्थिति है। इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है। भारत में यह अक्सर सर्दियों को ज्यादा ठंडा बना देता है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने ताजा बुलेटिन में बताया कि अभी तटस्थ स्थितियां बनी हुई हैं। न तो एल नीनो और न ही ला नीना। लेकिन विभाग का मानना है कि मॉनसून के बाद ला नीना की संभावना बढ़ जाएगी।

एक वरिष्ठ आईएमडी अधिकारी ने कहा, “हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना दिखा रहे हैं। ला नीना के दौरान भारत में सर्दियां सामान्य से ठंडी होती हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्माहट कुछ असर कम कर सकती है, लेकिन ठंडी लहरें बढ़ सकती हैं।”

इधर निजी मौसम संस्था स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा कि अल्पकालिक ला नीना की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया, “प्रशांत महासागर का तापमान पहले ही सामान्य से ठंडा है।

यदि यह -0.5°C से नीचे तीन तिमाहियों तक बना रहता है, तो इसे ला नीना घोषित कर दिया जाएगा। 2024 के अंत में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी जब नवंबर से जनवरी तक अल्पकालिक ला नीना रहा।”

शर्मा के अनुसार, भले ही औपचारिक घोषणा न हो, लेकिन प्रशांत महासागर का ठंडा होना वैश्विक मौसम को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, “अमेरिका में सूखी सर्दियों का खतरा है, जबकि भारत में यह कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक बर्फबारी ला सकता है।”

आईआईएसईआर मोहाली और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च, ब्राजील के 2024 के एक अध्ययन ने भी पाया कि ला नीना वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें अधिक और लंबी अवधि तक चलती हैं।

अध्ययन के अनुसार, “ला नीना के दौरान निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवा भारत की ओर खींच लाती हैं।”

खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूब वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। साथ ही, सुविधा के मुताबिक अन्‍य खबरें भी पढ़ सकते हैं।

आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, X सहित अन्‍य सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं। खबरें पढ़ सकते हैं। सीधे गूगल हिन्‍दी न्‍यूज पर जाकर खबरें पढ़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।

हमारे साथ इस लिंक से जुड़ें

https://chat.whatsapp.com/H5n5EBsvk6S4fpctWHfcLK