टेट की अनिवार्यता के कोर्ट के आदेश से व्यथित शिक्षक पहुंचे केंद्रीय राज्‍य मंत्री के पास

झारखंड
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रांची। एक सितंबर, 2025 को सुप्रीम कोर्ट से पारित आदेश में अगस्त, 2010 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) उत्तीर्ण करने को अनिवार्य कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि यह पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही, उन्हें प्रोन्नति भी नहीं मिल सकेगी।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से आगामी 10 वर्षों में सेवानिवृत होने वाले लगभग 35,000 शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इस न्यायाधीश से अचंभित और व्यथित शिक्षकों ने अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शनिवार को केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ से मिलकर इस समस्या का केंद्र सरकार और संसद के द्वारा समाधान कराने की मांग रखी।

बोकारो के पूर्व विधायक बिरंची नारायण की उपस्थिति में ज्ञापन सौंपते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी और महासचिव राम मूर्ति ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि देश की संसद द्वारा 2010 में निर्धारित शिक्षकों की टेट सही न्यूनतम योग्यता से अगस्त 2010 से पूर्व के शिक्षकों की मुक्त रखा गया है। ऐसे में कोर्ट का आदेश संसद द्वारा बनाए कानून के प्रतिकूल है।

संघ ने केंद्रीय मंत्री से मांग की कि केंद्र सरकार स्तर से पूर्व से स्थापित नियमों के अनुरूप संशोधित अधिनियम लाने की कार्रवाई की जाए। रक्षा राज्य मंत्री ने कहा इस विषय को केंद्रीय शिक्षा मंत्री के समक्ष रखकर इसे समाधान कराने की बात रखी जाएगी।

प्रतिनिधिमंडल में संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी, महासचिव राम मूर्ति ठाकुर, कोषाध्यक्ष संतोष कुमार, रांची जिला अध्यक्ष सलीम सहाय तिग्गा, राकेश कुमार, योगेंद्र द्विवेदी, भीम सिंह मुंडा, अगम लाल महतो, सुरजन कुमार, सुधीर कुमार सिंह, विजय मुंडा, राज कुमार रजवार, विजय रणजीत एक्का, सुमंत  लाल, सहित दर्जनों शिक्षक शामिल थे।

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