- पीएम और सीएम के नाम का मांग पत्र सौंपा, राजभवन मार्च 20 को
बोकारो। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले के नियुक्त शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने अन्यथा सेवामुक्त किए जाने और प्रोन्नति से वंचित रखे जाने के पहली सितंबर, 2025 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से झारखंड के शिक्षकों में घोर निराशा और आक्रोश है। इससे झारखंड के लगभग 30 हजार शिक्षकों की सेवा खतरे में आ गई है। देश के लाखों शिक्षक इस व्यथा से पीड़ित होने वाले हैं।
शिक्षकों में कोर्ट के फैसले से नाराजगी है। उनका कहना है कि जब भारत की संसद से बने कानून में 2010 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की आवश्यकता नहीं है, तब कोर्ट ने इसके विपरीत फैसला कर अचंभित किया है।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले राज्य के शिक्षक उद्वेलित हैं। बोकारो के सैकड़ों शिक्षकों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उपायुक्त के माध्यम से मांग पत्र भेजा। भारत सरकार और झारखंड सरकार से मामले में हस्तक्षेप कर पुनर्विचार याचिका दायर कररने एवं संविधान को संशोधन कर आदेश के प्रभाव को खत्म करने की मांग की।
ज्ञापन सौंपने वालों में संघ के प्रदेश महासचिव राम मूर्ति ठाकुर, प्रेस प्रतिनिधि अनिल कुमार सिंह, प्रमंडलीय अध्यक्ष प्रभात कुमार,जिला अध्यक्ष राजू साहू, जिला महासचिव राजेश सिन्हा, तरुण कुमार गिरी,सत्येंद्र कुमार सिन्हा, सुधीर कुमार वर्मा,बबीता कुमारी, प्रमिला कुमारी, प्रतिभा कुमारी, अनिता कुमारी, मंजुला कुमारी, सदानंद महतो, बिनोद उपाध्याय, जितेंद्र कुमार,नंद किशोर, हरि किशोर, जय प्रकाश नायक, संतोष कुमार, मांझे हांसदा,बसंत झा, गौतम बाउरी,राम कुमार, अफरोज आलम, अरुण कुमार, नरेश महतो, अखिलेश कुमार, मनोरंजन कुमार, सहित सैकड़ों की संख्या में शिक्षक उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अगले चरण में 20 सितंबर को राज्यभर के शिक्षक राजभवन पर जमा होंगे। राज्यपाल को प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे।
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