आरडीसीआईएस ने हाइड्रोजन डायरेक्ट रिडक्शन पर कार्यशाला की

झारखंड
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रांची। इस्पात भवन, आरडीसीआईएस में लौह एवं इस्पात अनुसंधान एवं विकास केंद्र (आरडीसीआईएस), सेल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने संयुक्त रूप से हाइड्रोजन डायरेक्ट रिडक्शन शाफ्ट रिएक्टर के लिए त्रि-आयामी कम्प्यूटेशनल द्रव गतिकी (3-डी सीएफडी) मॉडल पर एक दिवसीय तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया।

यह कार्यशाला आईआईटी खड़गपुर में हाइड्रोजन आधारित डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) प्रयोगशाला सुविधाओं और आरडीसीआईएस, सेल रांची में पायलट सुविधाओं के विकास एवं स्थापना के लिए ज्ञान प्रसार और आगे की रणनीति के रूप में आयोजित की गई थी।

इस सहयोगात्मक परियोजना को इस्पात क्षेत्र के हरितीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में इस्पात मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया है। कार्यशाला का उद्घाटन कार्यकारी निदेशक (आरडीसीआईएस) संदीप कुमार कर ने किया।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री कर ने इस्पात उद्योग के हित में ऐसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुविधाओं के विकास के लिए डिजाइनरों, प्रक्रिया विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और इस्पात संयंत्र व्यवसायियों के बीच ज्ञान साझा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये आगामी सुविधाएं आने वाले वर्षों में देश में हाइड्रोजन आधारित डीआरआई पर डीकार्बोनाइज़ेशन और स्वदेशी तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

आईआईटी खड़गपुर के धातुकर्म एवं सामग्री अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर एसबी सिंह ने ऐसी सुविधाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। स्वदेशी तकनीक के विकास की दिशा में उद्योग-एल्यूमिना सहयोगात्मक साझेदारी के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक का हवाला दिया।

आईआईटी खड़गपुर के प्रोफ़ेसर मानस पालीवाल ने हाइड्रोजन आधारित डीआरआई पर 3डी सीएफडी पर किए गए सिमुलेशन अध्ययन प्रस्तुत किए। प्रोफ़ेसर पालीवाल ने भारतीय लौह अयस्क की परिस्थितियों के अनुकूल लौह अयस्क और पेलेट विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शाफ्ट रिएक्टरों के डिज़ाइन के आधार की व्याख्या की। उन्होंने विशेष रूप से आईआईटी खड़गपुर द्वारा विकसित प्रयोगशाला पैमाने के अनुप्रयोग पर विस्तार से बताया।

आईआईटी खड़गपुर के प्रोफ़ेसर महेंद्र रेड्डी और हाइड्रोजन आपूर्तिकर्ताओं ने हाइड्रोजन के संचालन, आपूर्ति, परिवहन और भंडारण के लिए सुरक्षा पहलुओं और संबंधित रसद आवश्यकताओं की आवश्यकता के बारे में बताया। कार्यशाला में आने वाले वर्ष में प्रयोगशाला आधारित और पायलट-आधारित अनुसंधान सुविधाओं के विकास की प्रायोगिक योजना और आगे के रास्ते पर भी विचार-विमर्श किया गया।

आरडीसीआईएस के मुख्य महाप्रबंधक (लौह) अनिल कुमार मिस्त्री ने आयोजन समिति की ओर से कार्यशाला के आरंभ में प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस्पात उद्योग की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इस महत्वपूर्ण कार्यशाला की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला की रूपरेखा तैयार की।

मुख्य महाप्रबंधक (स्वचालन एवं अभियांत्रिकी) असित प्रसाद ने कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और आगे की रणनीति का सारांश प्रस्तुत किया। ब्लास्ट फर्नेस समूह के प्रमुख महादेव रॉय ने धन्यवाद किया। आरडीसीआईएस की टीम ने इस एक दिवसीय कार्यशाला के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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