
- गांधी भवन प्रेक्षागृह में जुटे विद्वानों राम स्वरूप वर्मा को किया याद
उत्तर प्रदेश। लखनऊ के गांधी भवन प्रेक्षागृह में महामना राम स्वरूप वर्मा की जयंती क्रांति दिवस के रूप में रविवार को मनायी गयी। वक्ताओं ने अपने उद्गार में कहा कि दुनिया में बहुत सारे चिंतक एवं दार्शनिक हुए, जिन्होंने मानव कल्याण के लिए कई काम किये, परन्तु महामना राम स्वरूप वर्मा ने सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक परिवर्तन सम्बन्धी समेकित चिंतन करते हुए मानव मानव की बराबरी का दृढ़ता से समर्थन किया। गैर बराबरी दूर करने के लिए व्यावहारिक उपाय भी बताये।
महामना वर्मा ने बोल-चाल, उठन-बैठन, खान-पान में समता होना जरूरी बताया। महामना वर्मा जी के अनुसार जो व्यवहार स्वयं को अच्छा न लगे वह दूसरों के साथ न करें। मानव समाज बनाने के लिए उन्होंने 1 जून, 1968 को ‘अर्जक संघ’ की स्थापना की। मानव समता के लिए उन्होंने नारा दिया कि “जिसमें समता की चाह नहीं, वह बढ़िया इंसान नहीं।
समता बिना समाज नहीं, बिन समाज जन राज नहीं। अर्जक संघ के द्वारा यह मानववादी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन चाहते थे, क्योंकि मानववादी संस्कृति में सबसे ज्यादा बाधक ब्राह्मणवादी ब्राह्मणवादी संस्कृति है। ब्राह्मणवाद क्या है? इसे भी उन्होंने परिभाषित किया।
महामना वर्मा ने अपने भाषणों एवं स्वरचित पुस्तकों में जिन शब्दों का प्रयोग किया है, उन शब्दों की व्याख्या/परिभाषा तर्कसंगत तरीके से प्रस्तुत किया है। महामना वर्मा जी साफ-सुथरी एवं पारदर्शी राजनीति के पक्षधर थे, उनका मानना था कि मानव समाज को सुखी बनाने के लिए मात्र तीन विकल्प है 1. पूंजीवाद, 2.साम्यवाद, 3.समाजवाद। उनके अनुसार इन्हीं विषयों पर सिद्धांत बनाकर जनता के बीच में बहस चलाकर जनमत प्राप्त करना चाहिए। फिलहाल दुनिया के किसी देश में इन विषयों पर सिद्धांत नहीं बनाये गये हैं।
केवल सत्तावादी विचारों से सत्ता प्राप्त की जा रही है, जनवादी विचारों से नहीं। महामना वर्मा सदैव सिद्धांतवादी राजनीति करते रहे और अनेक बार विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री भी रहे। समाजवाद की परिभाषा और उसके व्यावहारिक स्वरूप को लेकर डॉ. राम मनोहर लोहिया से उनका मतभेद हो गया, जिसके कारण उन्होंने डॉ. लोहिया का साथ छोड़ दिया। ऐसे महापुरूष का जन्म 22 अगस्त, 1923 को कानपुर देहात में हुआ था। जिनका जन्मदिन मनाने के लिए हमलोग यहां इकट्ठे हुए हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. आर. के. वर्मा, सदस्य विधान सभा ने कहा कि यदि महामना वर्मा जी के विचारों को भारत अपना ले, तो वह न केवल अपना पूर्व गौरव प्राप्त कर लेगा, बल्कि दुनिया के अन्दर मानव समता और मानववाद के लिए देश अग्रणी भूमिका निभाएगा।
मुख्य अतिथि ने कहा कि इनका चिंतन न केवल देश के लिए था, बल्कि विश्व के लिए था। समारोह में संत निर्मल सिंह, के.पी. यादव, ए.पी. यादव, डॉ. जगदीश पटेल, हरनाम सिंह, एहसानुल हक, गोकरन लाल मौर्य, जयकरन वर्मा, लोकनाथ पटेल आदि ने महामना को विलक्षण प्रतिभा का धनी बताया। समारोह का संचालन प्रेमचन्द्र सोनी, एडवोकेट एवं अतुल वर्मा, एडवोकेट ने किया।
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