आईआईएम रांची में हिंदी पखवाड़ा का समापन, प्रतियोगिता के विजेता सम्‍मानित

झारखंड
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हिंदी को केवल भाषा के रूप में ना लें, इसे संसाधन बनाये : प्रो. दीपक  

हिंदी में सोचें, हिंदी में ही अभिव्यक्त करने का प्रयास करें : चिराग गर्ग

विद्यार्थी पसंदीदा विषय की पाठ्यपुस्तक हिंदी में तैयार करें : प्रो. रत्नेश

रांची। आईआईएम रांची के राजभाषा प्रकोष्ठ की ओर से चल रहे हिंदी पखवाड़ा 2025 का समापन ‘हिंदी की महिमा, हिंदी का गुणगान’ के साथ हुआ। समापन सत्र में बॉलीवुड के स्क्रीनप्ले राइटर (दुपहिया, मंडाला मर्डर्स, बी हैप्पी, काकुडा व अन्य) चिराग गर्ग बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए।

झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्‍यक्ष प्रो रत्नेश विश्‍वक्सेन विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। सत्र की अध्यक्षता निदेशक प्रो. दीपक श्रीवास्तव ने की। उन्होंने कहा कि राजभाषा हिंदी शैक्षणिक, कला और अन्य विधाओं को सीखने-समझने के लिए सहज भाषा है।

कहा कि हिंदी भाषा मानवीय मूल्यों को अभिव्यक्त करने का सार्थक माध्यम है। इसे केवल भाषा नहीं बल्कि संसाधन के रूप में इस्तेमाल करें, तो प्रबंधन के छात्र वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं।

प्रो. दीपक ने कहा कि राजभाषा हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है, जो अन्य भाषाओं को सहजता से अपना लेता है, जिससे व्यक्ति आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते है।

कार्यक्रम समन्वयक प्रो सत्यम ने वक्ताओं के साथ डिजिटल माध्यम के जरिये बढ़ते हिंदी संवाद व आज के दौर में हिंदी की वैश्विक महत्ता पर चर्चा की।

चिराग गर्ग ने कहा कि लोग आज अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई और काम कर रहे हैं, जबकि हिंदी भाषी व्यक्ति हिंदी मे सोचता और उसे अंग्रेजी में अभिव्यक्त करने की कोशिश करता है। इससे हिंदी भाषा की आत्मा खत्म हो जाती है, लोगों को अपनी मातृभाषा के साथ सहज होना होगा, ताकि अभिव्यक्ति की कला आसान हो सके।

प्रो. रत्नेश ने हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के साथ आत्मविश्वासी बनने की प्रेरणा दी। कहा कि हिंदी कि ही महिमा है, जो अन्य सभी भाषाओं को सहजता से अपना लेती है। इससे रोमन लिपि भी अछुती नहीं है। आज लोग अपने दिनचर्या में हिंग्लिश का इस्तेमाल कर रहे है, जो हिंदी को बढ़ावा देने की दिशा में एक सार्थक पहल है।

परिचर्चा सत्र के दौरान हिंदी भाषा की वैश्विक उपयोगिता पर चर्चा हुई। इस पर प्रो रत्नेश ने कहा कि हिंदी किसी भी समाज विशेष की मातृभाषा नहीं है, हिंदी को लोग सहजता से अपनी बात रखने के लिए इस्तेमाल करते है।

शिक्षित होने के साथ अपनी राजभाषा को पूरी शक्ति के साथ उपयोगी बनाने का काम करना होगा। जिस विषय का अध्ययन कर रहे हैं, उसकी पाठ्यपुस्तकें हिंदी में तैयार करने में अपना योगदान दें। नहीं तो आने वाले दिनों में कोई विदेशी यह काम कर जायेगा, और हम हाथ धरे देखते रह जायेंगे।

चिराग ने विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा के साथ हिंदी में लेखन कार्य करने की बात कही, इससे हिंदी को प्रभावी बनाया जा सकेगा। सोशल मीडिया के जमाने में लोग हिंदी कंटेंट पर लगातार काम कर रहे है, जो हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

समापन सत्र में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा हुई। प्रतियोगिताओं में छात्रों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

चित्रांकन प्रतियोगिता में संजना सराफ, मुस्कान कुमारी और सुभदीप दास क्रमशः विजेता बने।

कविता पाठ (छात्र वर्ग) में अभिनव यादव, प्रियांशु राज और अंकित जाधव।

कविता पाठ (कर्मचारी वर्ग) में आली आजाद अंसारी, सीमा कुमारी और अनमोल रोशन कुजूर

निबंध प्रतियोगिता (छात्र वर्ग) में अनमोल धनौटिया, विधि संजीव कोठियाल और शुभदा संजय बोराडे।

निबंध प्रतियोगिता (कर्मचारी वर्ग) में प्रो. कुशाग्र शरण, अक्षय कुमार नायक और सीमा कुमारी।

कथाकार प्रतियोगिता में यश चैहान, अनमोल धनौटिया और रूमानी।

स्लोगन प्रतियोगिता में रूमानी, दीपांशु किशोर और विधि संजीव कोठियाल विजेता चुने गये।

विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र व नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

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