- ‘जीएसटी 2.0 – प्रमुख बदलाव एवं उद्योग पर प्रभाव’ पर सत्र का आयोजन
रांची। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) झारखंड की ओर से ‘जीएसटी 2.0 – प्रमुख बदलाव एवं उद्योग पर प्रभाव’ पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य जीएसटी 2.0 के तहत हुए हालिया सुधारों, अनुपालन आवश्यकताओं और उनके उद्योग जगत पर पड़ने वाले प्रभावों की विस्तृत जानकारी देना था। सत्र के दौरान विशेषज्ञों ने व्यावहारिक सुझाव और रणनीतियाँ साझा कीं, ताकि व्यवसाय नई कर प्रणाली के अनुरूप स्वयं को प्रभावी रूप से ढाल सकें।
मेंटर (सीआईआई झारखंड एवं सीईओ) जयेश टांक ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में मील का पत्थर है। यह सुधार न केवल अनुपालन को सरल बनाता है, बल्कि पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है।
श्री टांक ने विशेष रूप से एमएसएमई के लिए उत्पन्न हो रही नई संभावनाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। जीएसटी को व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने वाला कदम बताया।
संयोजक (सीआईआई झारखंड आर्थिक, वित्तीय एवं कर मामलों की समिति एवं चीफ लीगल काउंसल, टाटा स्टील लिमिटेड) विकास मित्तल ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारत के आर्थिक सुधारों में सबसे बड़ा बदलाव है।
उन्होंने बताया कि नई प्रणाली के तहत 5% की दर आवश्यक वस्तुओं के लिए, 18% मानक दर और 40% विलासिता एवं ‘सिन’ वस्तुओं के लिए निर्धारित की गई है। यह संरचना न केवल व्यापारियों, एमएसएमई, किसानों, महिलाओं और मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि महंगाई में भी कमी ला सकती है।
संजय कुलकर्णी ने जीएसटी 2.0 की सादगी और समाज पर इसके सकारात्मक प्रभाव की सराहना की। उन्होंने सरकार और वित्त मंत्री के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने कर ढांचे को सरल और जनहितकारी बनाने हेतु राज्यों को एक मंच पर लाया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए उद्योग जगत से सहयोग का आह्वान किया।
सह-संयोजक (आर्थिक, वित्तीय एवं कर मामलों की समिति) अरुण ए गौर ने कहा कि जीएसटी 2.0 न केवल एक कर सुधार है, बल्कि आने वाले दशक में भारत के आर्थिक विकास की नींव है। यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा, डेटा आधारित नीति निर्माण को सशक्त बनाएगा। सरकार और उद्योगों के बीच भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
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