रांची। विश्व रेबीज दिवस पर रांची पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में शनिवार को 66 पालतू पशुओं की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच की गयी। रेबीज से बचाव के लिए 62 पशुओं का टीकाकरण किया गया। जांच के लिए राजधानी के विभिन्न भागों से पशु प्रेमी अपने पालतू कुत्ते, बिल्ली, खरगोश एवं बकरी को लेकर आये थे।
कार्यक्रम को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे और पशुचिकित्सा संकाय के डीन डॉ एमके गुप्त ने भी संबोधित किया। कहा कि रेबीज घातक साबित हो सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए सावधानी और जागरूकता आवश्यक है।
आयोजन के समन्वयक और वेटनरी क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ अभिषेक कुमार ने बताया कि इस अवसर पर रेबीज के दुष्परिणामों एवं इससे बचाव के उपायों के बारे में जागरुकता बढाने के लिए पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के शिक्षकों ने आनेवाले पशु प्रमियों को रेबीज से बचाव सम्बन्धी तकनीकी जानकारी दी I
कार्यक्रम को फार्मा कंपनियों मैनकाइंड, ड्रूल्स, वेको, एमएसडी और इंडियन हर्ब्स का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा। जागरुकता कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगताओं में 100 से अधिक छात्र-छात्राओं की भागीदारी रही।
स्पर्धाओं के विजेता
वक्तृत्व कला प्रतियोगिता : एंजेल केरकेट्टा प्रथम, राहुल प्रसाद द्वितीय, शैरोन निस्तार बारला तृतीय
पोस्टर प्रतियोगिता : शैरोन निस्तार बारला प्रथम, एंजेल केरकेट्टा द्वितीय, अस्मिता सिंह तृतीय
ऑडियो-विजुअल प्रतियोगिता : सौरभ जायसवाल प्रथम, अदिति और निखिल द्वितीय, एंजेल केरकेट्टा तृतीय
प्लेकार्ड प्रतियोगिता : अदिति प्रथम, निखिल द्वितीय, विशाल कुमार सिंह तृतीय
नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता : द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों के समूह ने प्रथम और प्रथम वर्ष की टीम ने दूसरा स्थान प्राप्त किया
पालतू या सड़क के पशुओं द्वारा काटे जाने पर व्यक्ति के व्यवहार में आक्रामकता या चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, उलटी आना, थकान, बुखार, या भूख न लगना हाइड्रोफोबिया, मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन की अकड़न, चिंता, दौरे पड़ना, निगलने में परेशानी, आंखों की पुतली का फैल जाना, ज़्यादा लार बनना, सिरदर्द, मस्तिष्क मृत्यु, प्रभावित व्यक्ति का कोमा में जाना आदि रेबीज के प्रमुख लक्षण हैं।
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