- विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पंडित दीनदयाल के जीवन पर प्रकाश डाला
रांची। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर सरला बिरला विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के तत्वावधान में बिरला नॉलेज सिटी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के संघर्षपूर्ण जीवन और उनकी कर्मठता पर प्रकाश डाला। उनकी कई प्रेरक कहानियों को साझा किया।
उनके परिवार की गरीबी, माता-पिता के देहांत और गरीबी के चलते उनके जीवन की विपरीत परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद दीनदयाल जी ने हार नहीं मानी। अपने जीवन काल में कई प्रेरणादायी कार्य किए। कई अच्छी नौकरियों के प्रस्ताव मिलने के बावजूद उन्होंने आगे की शिक्षा पर ध्यान दिया। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षा से ज्यादा संबंधों को प्रधानता दी।
पत्रकारिता में उनके योगदान और पाञ्चजन्य में उनकी जिम्मेवारियों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। कई चुनौतियों के सामना करने के बावजूद वे अख़बार के प्रकाशन के लिए कभी पीछे नहीं हटे। इसके साथ ही उन्होंने भारतीयता और भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्व को बताया। अपने वक्तव्य में उन्होंने एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रेरक पंडित जी के विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और व्यावहारिक चिंतन पर भी बात की।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा ने संगोष्ठी में पंडित जी की जीवनी की तीन भागों में व्याख्या की। उनके जीवन के पहले भाग में एक भारतीय अभावग्रस्त छात्र के प्रतिनिधि के रूप में संघर्ष करते हुए मेधा और बुद्धि का प्रयोग कर अध्ययन करनेवाले छात्र, दूसरे भाग में संघ से सामाजिक जीवन में प्रवेश करते हुए एक सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकार के रूप में सबको चकाचौंध करने वाले पंडितजी और जीवन के तीसरे भाग में राष्ट्र की आवश्यकता को समझते हुए राजनीति में प्रवेश कर अपनी अनूठी छाप छोड़ने वाले अतुलनीय दीनदयाल जी के तीनों रूपों को उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष रखा।
जनसंघ की स्थापना और इसके त्रिमुखी सिद्धांत से लेकर अखंड भारत की विचारधारा, भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और देश की विशिष्ट संस्कृति को सम्मुख रख उनके राजनीति में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करने पर भी उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला।
केएसएएस लखनऊ के सहायक प्राध्यापक डॉ. आलोक कुमार द्विवेदी ने भारत की ज्ञान परंपरा के बारे में बोलते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान और आचरण ही पाश्चात्य जगत से हमें अलग करता है। भारतीय छात्रों के लिए ये बेहद जरुरी है कि वे भारतीय ज्ञान परंपरा को समझें और जानें। भारतीय ज्ञान परम्परा मूल रूप से समाज और राष्ट्र को पोषित करती है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रो नीलिमा पाठक एवं मंच का संचालन डॉ विद्या झा ने किया। डेवलपमेंट एंड प्लानिंग के डीन वी. के सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। मंच पर विशेष रूप से विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत रायपत उपस्थित थे।
इस अवसर पर विवि के महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक, कुलपति प्रो सी जगनाथन, सरला बिरला पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या मनीषा शर्मा समेत विवि के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अलावा साईनाथ विवि के वीसी एसपी अग्रवाल, नीलांबर पीतांबर विवि के पूर्व वीसी प्रो विजय सिंह, वाईबीएन विवि के वीसी प्रो सत्यदेव पोद्दार, झारखंड राय यूनिवर्सिटी की कुलसचिव डॉ. अमृता मजूमदार उपस्थित थे।
झारखंड राज्य बिजली बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वीएन पांडेय, विहिप के प्रदेश संगठन मंत्री देवी सिंह, आरएसएस के नगर संघचालक शंकर प्रसाद साहू, भाजपा जिलाध्यक्ष धीरज महतो, प्रदेश उपाध्यक्ष आरती कुजूर, प्रदेश मंत्री गणेश मिश्रा, पूर्व विधायक द्वय गंगोत्री कुजूर एवं रामकुमार पाहन, आरती सिंह, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शशिभूषण भगत, पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र महतो,जेलेंद्र कुमार, अजय राय, रणधीर चौधरी, मांडर के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी सन्नी टोप्पो, जिला उपाध्यक्ष द्वय प्रीतम साहू एवं प्रभुदयाल बड़ाईक, एसटी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रितेश उरांव, मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र महतो, सुनील महतो, सुधाकर चौबे, रामकुमार दुबे एवं भाजपा के अन्य कार्यकर्ता और पदधारी भी इस संगोष्ठी में उपस्थित रहे।
विवि के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान ने इस संगोष्ठी के आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया है।
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