- मामला हिन्दी टिप्पण परीक्षा पास करने का
रांची। जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) की कार्यशैली से शिक्षकों में उबाल है। वार्षिक वेतनबृद्धि के लिए शिक्षकों ने शपथ पत्र देने से इंकार कर दिया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि डीएसई तीन हजार शिक्षक स्कूल छोड़कर कर मजिस्ट्रेट कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर कर रहे हैं।
जानकारी हो कि हिन्दी टिप्पण पास करने के विषय को आधार बनाते हुए डीएसई ने रांची जिले के लगभग तीन हजार शिक्षकों के जुलाई माह से ही वार्षिक वेतनबृद्धि पर रोक लगाकर रखी गई है। इस संबंध में उनके द्वारा जिला लेखा कार्यालय से मार्गदर्शन की मांग की गई थी।

जिला लेखा ने वित विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त कर जिला शिक्षा अधीक्षक को जवाब दे दिया। इसके अनुसार शिक्षकों के वेतन वृद्धि पर वित विभाग द्वारा कोई रोक नहीं लगाने की बात कही गई है। यह भी स्पष्ट किया गया कि वित विभाग के पत्र में इस विषय पर पूर्व से स्थापित नियमों को ही ध्यानगत रखा गया है। शिक्षकों के नाम का कोई उल्लेख भी नहीं किया गया है।
जिला लेखा पदाधिकारी से मार्गदर्शन प्राप्त होने के बाद भी डीएसई द्वारा चौबीस घंटे के अंदर अपने ही पत्र को बदलते हुए सभी निकासी एवं व्यवन पदाधिकारी को निर्देशित किया गया कि शिक्षकों के हिन्दी टिप्पण पास करने या नहीं करने के विषय पर विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा। इसलिए मार्गदर्शन प्राप्त होने तक शिक्षकों से प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट स्तर का शपथ लेकर ही शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का भुगतान किया जाए।
डीएसई के उक्त आदेश से जिले के लगभग तीन हजार शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी डीएसई के इस कार्रवाई को शिक्षकों को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करने वाला कदम बताया है।
संघ का कहना है कि सरकार और विभाग द्वारा पूर्व से ही यह व्यवस्था दी गई है कि सहायक शिक्षकों को हिन्दी टिप्पण परीक्षा पास करने की आवश्यकता नहीं है। वर्ष, 1987 और 1993 के इस आदेश की प्रति भी संघ द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक को उपलब्ध कराई गई है।
वाबजूद सब कुछ जानते हुए भी जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज के द्वारा मनमाने तरीके से शिक्षकों को वेतन वृद्धि के नाम पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से शपथ पत्र लेकर देने को कहना अमान्य करने योग्य है।
जिले के शिक्षकों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए निर्णय किया है कि जब सरकार द्वारा 1987 और 1993 में ही शिक्षकों को इस परीक्षा से मुक्त रखने की व्यवस्था को मार्गदर्शित कर दिया है तब वे शपथ पत्र क्यों दें। इसलिए लगभग तीन हजार शिक्षकों ने न्यायोचित वेतनवृद्धि के लिए शपथ पत्र देने के इनकार किया है। चाहे डीएसई वेतनवृद्धि दें या नहीं दें।
संघ के प्रवेश अध्यक्ष अनूप केसरी, प्रदेश महासचिव राम मूर्ति ठाकुर, कोषाध्यक्ष संतोष कुमार,जिला अध्यक्ष सलीम सहाय तिग्गा, जिला महासचिव कृष्ण शर्मा आदि ने कहा है कि डीएसई की यह कार्रवाई गैरवाजिब और मनमानीपूर्ण है।
उनका यह आदेश शिक्षकों को स्कूल छोड़कर मजिस्ट्रेट कार्यालय का चक्कर लगाने को बाध्य करता है, जबकि सरकार ने पहले से ही शिक्षकों को इससे मुक्त कर रखा है। संघ ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक से मामले में हस्तक्षेप कर सरकार के स्थापित आदेशों की रक्षा करने की मांग की है।
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