रांची। बीआईटी मेसरा में ‘एआई एंड इट्स डाइमेंशन्स’ विषय पर आयोजित सेमिनार में 62 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें छात्र, अकादमिक एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल रहे। एआईसीटीई वानी द्वारा स्पॉन्सर्ड इस कार्यक्रम ने वाइब्रेन्ट प्लेटफॉर्म की भूमिका निभाई, जहां समाज, शिक्षा एवं इनोवेशन पर एआई के प्रभाव पर रोशनी डाली गई।
सेमिनार मुख्य अतिथि डॉ नारायण पानीग्रही (वैज्ञानिक एच, डीआरडीओ बैंगलोर ने भाषा खासतौर पर मातृ भाषा के महत्व पर ज़ोर दिया। इसे युद्ध में रक्षा उपकरण बताया, जो मानव एवं मशीन इंटीजेन्स के बीच तालमेल बनाने में सक्षम है। एक मां किस तरह अपने बच्चे को भाषा एवं अन्य ज्ञान देती है, इसका उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने एआई लर्निंग मॉडल को समझने के लिए आकर्षक ढांचा प्रस्तुत किया।

संयोजन डॉ के.के. सेनापति ने स्वागत किया। सेमिनार के लक्ष्यों पर रोशनी डाली। बताया कि इसका उद्देश्य एआई के नैतिक एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देना, एआई समेकन के लिए अग्रगामी दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना, उभरते शोधकर्ताओं एवं अनुभवी विशेषज्ञों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना है।
दो दिनों के दौरान कम्प्यूटर विज़न, रिमोट सेंसिंग, टेकनिकल पेपर राइटिंग, ट्रांसफोर्म लर्निंग, एआई इन डीफेंस, इंटरप्रेटेबल एंड एक्सप्लेनेबल एआई, एआई एंड ऑटोनोमस व्हीकल पर चर्चा हुई।
सेमिनार में अतिथि प्रोफेसर संजय कुमार मेहर (आईएसआई बैंगलोर, सिस्टम इंटेलीजेन्स यूनिट) थे। समापन पर डॉ सेनापति ने उड़िया जैसी स्थानीय भाषाओं के नज़रिए से एआई स्पेस में वार्ता एवं इनोवेशन के महत्व पर रोशनी डाली।
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