रांची। नाबार्ड का ‘ग्रामीण भारत महोत्सव-झारखंड” रेडिशन ब्लू होटल में आयोजित होगा। राष्ट्रीय स्तर की यह प्रदर्शनी सह बिक्री 24 अगस्त से 2 सितंबर, 2025 तक होगी। इसमें भारत भर के बेहतरीन हैंडलूम और रेशम उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक खुली रहेगी। प्रवेश निःशुल्क है।
यह प्रदर्शनी नाबार्ड समर्थित स्वयं सहायता समूह, उत्पादक संस्था, कारीगरों, बुनकरों, जीआई टैग वाले आइटम उत्पादकों आदि को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और ग्राहकों की प्राथमिकताओं को समझने, नई तकनीकों को सीखने, इवैंट में अपने प्रतिभाग के द्वारा उनके ग्राहकों के साथ प्रत्येक्ष रूप से अपने भाव का आदान प्रदान कर सकते हैं। प्रदर्शनी उन्हें अपनी आजीविका में सुधार के लिए ग्राहक आधार को व्यापक बनाने और साथ विपणन कौशल सीखने का भी अवसर प्रदान करता है।

आयोजन का उद्देश्य भारतीय हैंडलूम और रेशमी उद्योगों की समृद्ध विरासत को मनाना और बढ़ावा देना है। विभिन्न राज्यों के कारीगरों को उनकी उत्कृष्ट कृतियों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक प्रतिष्ठित मंच प्रदान करना है।
प्रदर्शनी में कश्मीर से कन्याकुमारी और मणिपुर से राजस्थान तक पारंपरिक और आधुनिक हथकरघा और रेशमी उत्पादों की एक प्रभावशाली श्रृंखला शामिल होगी। यह प्रदर्शनी भारतीय बुनकरों की शिल्पकला और कलात्मकता को उजागर करेगी, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। इसके अलावा, अद्वितीय हस्तशिल्प और घरेलू सजावट के सामान भी प्रदर्शित की जाएंगी।
यह प्रदर्शनी उपस्थित लोगों को पारंपरिक साड़ियों और परिधानों से लेकर समकालीन फैशन के सामान और घरेलू साज-सज्जा की विविध प्रकार की हथकरघा और रेशमी वस्तुओं का अनुभव करने और उन्हें खरीदने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी।
आगंतुकों को कारीगरों से बातचीत करने, उनके शिल्प के बारे में जानने और हथकरघा एवं रेशमी बुनाई में निहित कौशल और समर्पण की गहरी समझ हासिल करने का भी अवसर मिलेगा। प्रदर्शनी में करघे पर बुनाई का लाइव प्रदर्शन भी आयोजित किया गया है।
प्रदर्शनी में महाराष्ट्र से पैठनी साड़ियां, ओडिशा से संबलपुरी, मध्य प्रदेश से माहेश्वरी, बलूचरी, जामदानी, पश्चिम बंगाल से तंगेल, कांथा स्टिच और मुर्शिदाबाद सिल्क, तमिलनाडु से कांजीवरम, बैंगलोर सिल्क, इल्कल साड़ी, मैसूर सिल्क साड़ी, कर्नाटक से कसुती हाथ की कढ़ाई वाली साड़ी, पाटन पटोला गुजरात, छत्तीसगढ़ से कोसा सिल्क।
झारखंड से कुचई और भगैया सिल्क, असम से सिनलीमा हैंडलूम और मुगा सिल्क, करचोवी-जरदोजी कढ़ाई, उत्तर प्रदेश से चिकनकारी और बनारसी सिल्क, कश्मीर और लद्दाख से पश्मीना, आंध्र प्रदेश से कलमकारी कढ़ाई का काम, मिथिला/मधुबनी पेंटिंग के कपड़े और बिहार से बावन बूटी वर्क्स हथकरघा, पंजाब से फुलकारी काम, त्रिपुरा से चकमा और देश भर से कई अन्य विदेशी बुनाई आदि की एक प्रभावशाली श्रृंखला प्रदर्शित की जाएगी।
यह प्रदर्शनी भारतीय बुनकरों की शिल्पकला और कलात्मकता को उजागर करेगी, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। इसके अलावा, अद्वितीय हस्तशिल्प और घरेलू सजावट के सामान भी प्रदर्शित की जाएंगी, जिनमें टीकमगढ़ के उत्कृष्ट पीतल के हस्तशिल्प, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के लकड़ी के खिलौने, झारखंड के डोकरा और सोहराई के उत्पाद, पश्चिम बंगाल के नादिया से गुरनी मिट्टी और कांच के रेशे के उत्पाद और आपके घर के लिए भारतीय समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते कई और अनूठे उत्पाद प्रदर्शन और बिक्री के लिए भी उपलब्ध होगा।
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