
- जीवन मूल्यों को मनमोहक प्रस्तुतियों के माध्यम से किया सजीव
- विद्यालय की दो पूर्व छात्राओं को विशेष सम्मान प्रदान किया गया
- संस्कारों व पारिवारिक मूल्यों को बच्चों में रोपित करने का प्रयास
रांची। सरला बिरला पब्लिक स्कूल में ‘वात्सल्यम्- 2025’ ग्रैंडपैरेंट्स डे का आयोजन 2 अगस्त को किया गया। इस वर्ष का आयोजन “चतुर्भुज-पीलर्स ऑफ़ सक्सेस” थीम पर आधारित रहा, जिसमें चार प्रमुख जीवन मूल्यों को मनमोहक प्रस्तुतियों के माध्यम से सजीव किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों और उनके दादा-दादी के बीच प्रेम, संबंध और जीवन मूल्यों को प्रगाढ़ करना था।
कार्यक्रम में सरला बिरला विश्वविद्यालय के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद नन्हे विद्यार्थियों ने स्वागत गीत एवं नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम में रंग भर दिया। मंच पर विद्यालय की वार्षिक उपलब्धियों को डिप्टी लिट्रेरी सेक्रेटरी ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर विद्यालय की पूर्व छात्रा सिमरन और भूमि केशरी को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। दोनों ने नीट (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) में उत्कृष्ट सफलता प्राप्त की है।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला में नर्सरी के बच्चों ने “एटरनल बॉन्ड” शीर्षक के अंतर्गत दादा-दादी और पोते-पोतियों के विशेष रिश्ते पर भावनात्मक प्रस्तुति दी। के.जी. ‘ए’ के छात्रों ने “यूनिटी बीट्स” के माध्यम से एकता की शक्ति को ताल और लय के द्वारा प्रस्तुत किया।
के.जी. बी के बच्चों ने “कदम से कदम मिलाएं” शीर्षक पर प्रस्तुति दी, जिसने यह संदेश दिया कि नियमित अभ्यास से सफलता संभव है। अंत में के.जी. सी के विद्यार्थियों ने “मोशन मैट्रिक्स” के तहत समय प्रबंधन के महत्व को सुंदर और रचनात्मक अंदाज में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की झलक ने उत्सव को विशेष आकर्षण प्रदान किया। भगवान कृष्ण की झांकियों एवं नृत्य से पूरा परिसर भक्तिमय और आनंदमय हो उठा। रांची स्थित वृद्धाश्रम ‘अपना घर’ के सदस्य भी बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित थे।
समारोह का समापन धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। दादा-दादी एवं अभिभावकों के चेहरे बच्चों की प्रस्तुतियों से खुशी और गर्व से खिले हुए थे।
प्राचार्या श्रीमती परमजीत कौर ने सभी दादा-दादी एवं अभिभावकों को उनके सहयोग और उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। कहा कि यह प्रस्तुति केवल बच्चों के हुनर का परिचय नहीं थीं, बल्कि उनमें जीवन के अमूल्य संदेश भी छिपे थे। यह आयोजन हमारे संस्कारों और पारिवारिक मूल्यों को बच्चों में रोपित करने का एक सुंदर प्रयास है।
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