
मुंबई। एनआईए कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट के सभी सात आरोपी को बरी कर दिया है। इसके बाद इस मामले को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। इस बीच पूर्व एटीएस अधिकारी ने मालेगांव विस्फोट मामले में बड़ा दावा किया है।
पूर्व एटीएस अधिकारी महिबूब मुजावर ने कहा कि 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले की प्रारंभिक जांच के दौरान उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए निर्देश मिला था। इस आदेश का उद्देश्य कथित ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को स्थापित करना था।
श्री मुजावर के अनुसार मैंने मोहन भागवत को फंसाने से इनकार कर दिया। उन्होंने आदेशों का पालन नहीं किया क्योंकि वे नैतिकता के खिलाफ थे।
इसके चलते उन पर झूठा मामला दर्ज किया गया, जिसने उनके 40 साल के पुलिस करियर को प्रभावित किया। श्री मुजावर के अनुसार, उनके पास इस दावे के दस्तावेज हैं।
राज्य की एटीएस टीम द्वारा मामले की शुरुआती जांच की गई थी। बाद में यह मामला एनआईए को सौंपा गया था
हाल ही में विशेष एनआईए अदालत ने मालेगांव केस में संदेही सातों आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें प्रसिद्ध भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी शामिल थीं
अदालत ने कहा कि कोर्ट के समक्ष ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह नहीं थे, ना कि सिर्फ नैरेटिव या शक आधारित आरोप पर्याप्त हैं।
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