
गणपत लाल चौरसिया
गुमला। पालकोट रोड स्थित सरना पूजा स्थल में आदिवासी समाज ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इसमें झारखंड आंदोलन के अग्रदूत दिशोम गुरु स्व. शिबू सोरेन को आना-आदि प्रार्थना व आदिवासी रीति रिवाज से भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
शोक सभा में विश्व आदिवासी आयोजन समिति के अध्यक्ष नेल्सन भगत ने कहा कि झारखंड निर्माण आंदोलन के अग्रदूत दिशोम गुरु स्व. शिबू सोरेन का हमारे बीच से जाना अपूरणीय क्षति है। शिबू सोरेन एक विचारधारा थे। उसपर आत्मसात कर चलने की जरूरत है।
विश्व आदिवासी दिवस के आयोजन समिति के सह सचिव नरेश उरांव ने कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है। हमलोगों ने एक कुशल राजनेता ही नहीं, एक अभिभावक भी खोया हैl
विश्व आदिवासी दिवस के उपाध्यक्ष विमलचन्द्र बड़ाईक ने कहा कि आज झारखंड की हवा शांत है। जंगल सिसक रहा है। नदियां पहाड़ मौन है। झारखंड की अंतरात्मा पूरी तरह से शोक में डूबी हुई है। झारखंड विरान हो गया है। मन व्याकुल और बेचैन है।
शोक सभा में संरक्षक जीतेश मिंज, महावीर उरांव, सोनो मिंज, बुधवा उरांव, शांति देवी ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की। मौके पर योगी उरांव, रामचंद्र उरांव, सोमनाथ उरांव, सुनिता उरांव, गीता उरांव एवं गुमला मुख्यालय के सभी आदिवासी छात्रावास के छात्र मौजूद थे।
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