- एनडीपीएस एक्ट में कड़ी सजा का है प्रावधान : राजेश कुमार सिन्हा
रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में 18 अगस्त, 2025 को संत जेवियर कॉलेज में नशा मुक्ति पर नालसा योजना ‘डॉन’ के तहत एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा, एलएडीसीएस डिप्टी चीफ, राजेश कुमार सिन्हा, ड्रग्स कन्ट्रोल विभाग के स्वपनिल निखिल, सीआईडी के एसआई रिजवान अंसारी, स्कूल के शिक्षक समेत अन्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर अतुल गेरा ने कहा कि नशा हमारे देश को खोखला कर रहा है। नशा से बचने के लिए छात्र-छात्राओं को जागरूक करना आवश्यक है।

एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को निर्देशित करता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा। अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास एवं 2 लाख रूप्ये के जुर्माने की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
श्री सिन्हा ने कहा कि कांके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करने वालों को ठीक करने में मदद करते हैं। सीआईपी और रिनपास में डालसा का लिगल एड क्लिनिक है, वहां पर नशा करनेवाले व्यक्तियों को इलाज किया जाता है। इसमें डालसा सहायता प्रदान करता है।
श्री सिन्हा ने नालसा टॉल फ्री नंबर-15100 के बारे में और डालसा से मिलनेवाली निःशुल्क विधिक सहायता के बारे में छात्र-छात्राओं को अवगत कराया।
सीआईडी के रिजवान अंसारी ने मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित जानकारी प्रदान की। मादक पदार्थों की तस्करी में बच्चों और नवयुवकों का इस्तेमाल हो रहा है। इससे बचने की सलाह छात्रों को दी। उन्होंने कहा कि झारखंड ना केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी लोग मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) पर दे सकते हैं।
गौरतलब हो कि जागरुकता कार्यक्रम में सम्मिलित अन्य वक्ताओं ने भी नशा करने से होने वाली हानि के बारे में बताया।
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