पिठोरिया। झारखंड आंदोलनकारी, इतिहासकार, साहित्यकार डॉ बीपी केशरी की 9वीं पुण्यतिथि प्रेम मंजरी उच्च विद्यालय में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत में उपस्थित लोगों ने डॉ बीपी केशरी की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।
इस अवसर पर नागपुरी संस्थान के सचिव सुजीत केशरी ने कहा कि झारखंड की बौद्धिक विरासत को सहेजने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी को होम कर दिया। इसी की परिणिति छोटानागपुर का इतिहास, झारखंड के सदान, कल्चरल झारखंड-प्रोब्लम एवं प्रोस्पेक्टस, नेरूआ लोटा उर्फ़ सांस्कृतिक अवधारणा, नागपुरी भाषा- उद्गम और विकास, वृहद् नागपुरी लोकगीत संग्रह और नागपुरी कवि और उनका काव्य जैसे 37 कालजयी रचनाएं हैं।
सचिव ने कहा कि डॉ केशरी ने रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना में अहम योगदान देकर झारखंडी भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभाई। देशज अस्मिता से आमजन को जोड़कर यहां की रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति के प्रति जागरुकता लाने का दायित्व निभाया। नागपुरी संस्थान की स्थापना इन्हीं उद्देश्यों के लिए उनके द्वारा की गई।
स्कूल के प्रधानाचार्य विजय पांडेय ने बताया कि दूसरों की प्रतिभा को पहचाना और उसको उभारने में वे बेजोड़ थे। सामाजिक समरसता के लिए वे सतत प्रयासरत रहते थे। उनका मानना था कि झारखंडी समाज का भला साम्प्रदायिक सौहार्द में ही संभव है।
कार्यक्रम में सचित राणा, शैलेश तिर्की, नीरज देव, रंजीत तिर्की, सुसित गौरव, संगीता केसरी, शबनम, आरती, अमृता, मोनिका, तस्लीमा, सरिता, सोबिता, नित्या, सावधानी, प्रियंका, हेमा और मार्गेट उपस्थित थे।
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