
- बीआईटी मेसरा का स्थापना दिवस समारोह
रांची। डॉ. गणेश नटराजन ने कहा कि आज एआई मुख्य रूप से अमेरिका और चीन से संचालित है। हमारे जैसे पूर्व छात्रों के पास इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में योगदान करने का एक अनूठा अवसर है। जैसा कि महान संत स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ आइए हम सब मिलकर उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करें। वे 15 जुलाई को बीआईटी मेसरा के स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
संस्थान के कुलपति प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने कहा, ‘देश में स्वतंत्रता के बाद के केवल तीन संस्थान ऐसे हैं, जिन्हें प्लेटिनम जुबली मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बीआईटी मेसरा भारत के पूर्वी क्षेत्र का पहला संस्थान था, जिसे 1986 में मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। अब हम यूजीसी 2023 विनियमों और यूजीसी 12बी का पालन करते हैं। हमारे सभी परिसर यूजीसी और ईआईसीटी नियमों का पूर्णतः पालन करते हैं। हमारे 90% से अधिक स्नातक पाठ्यक्रम एनबीए-मान्यता प्राप्त हैं।’
मुख्य अतिथि आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि कुछ ही समय में बीआईटी मेसरा देश के शीर्ष 20 या यहां तक कि शीर्ष 10 संस्थानों में शुमार हो जाएगा।
संस्थान के पूर्व छात्र प्रोफेसर प्रतीक किशोर, प्रदीप दुबे, मनीष तिवारी, अमिताभ पांडा, प्रोफेसर नीरज वर्मा, डॉ भूषण लाल करिहलू, कौशल चक्रवर्ती, भूमि भूते, अर्नब कुमार, अमन शर्मा, डॉ सोमदत्त गोस्वामी व डॉ दिव्या तिवारी को अपने विभाग मे उन्नत कार्य करने के लिए प्रतिष्ठित पूर्व छात्र का पुरस्कार दिया गया। वास्तुकला विभाग के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
पूर्व छात्र व अंतराष्ट्रीय सम्बन्धों की डीन प्रोफेसर श्रद्धा शिवानी ने स्वागत और संस्थान के कुलसचिव प्रोफेसर सुदीप दास ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की मेजबानी मीडिया सेल के प्रमुख मृणाल पाठक ने की।
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