
विश्वजीत कुमार रंजन
गढ़वा। उपायुक्त ने बीते दिनों सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच का निर्देश दिया था। निर्देश के आलोक में सदर एसडीएम संजय कुमार ने शहर के तीन अल्ट्रासाउंड केंद्रों की औचक जांच की। इस क्रम में सभी में प्रथम दृष्टया विसंगति मिली। विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्होंने सभी केंद्रों को एहतियात के तौर पर अगले आदेश तक बंद करने का निर्देश दिया।
एसडीएम ने सभी केंद्रों में ताला डलवाते हुए केंद्र के संचालकों से यह अंडरटेकन लिया कि वह सिविल सर्जन या उनके द्वारा गठित टीम के स्तर से जांच हो जाने और क्लीन चिट मिलने के बाद ही इन केंद्रों को खोलेंगे।
टाउन हॉल मैदान के पास स्थित झारखंड अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच के क्रम में पता चला कि यहां डॉ अभिषेक कुमार अल्ट्रासाउंड सेवाओं के लिए संबद्ध हैं। हालांकि वे पिछले 6-7 महीने से यहां नहीं आए हैं। इसके बावजूद भी वहां अल्ट्रासाउंड का काम बदस्तूर जारी था। जब वहां रजिस्टर चेक किए गए, तब अद्यतन तिथि तक अपडेट मिला।
रजिस्टर भी दो किस्म के पाए गए। मौके पर 12वीं पास युवक व युवती मिले। मामला संदिग्ध लगने पर सिविल सर्जन को जानकारी देते हुए इस केंद्र को एहतियातन बंद कराते हुए चाबी मौके पर मौजूद रविकांत दुबे को दे दी गई।
चंद्रिका हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कचहरी रोड के अल्ट्रासाउंड केंद्र के औचक निरीक्षण के क्रम में प्रबंधक अयूब अंसारी ने बताया कि वे सिर्फ मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड करते हैं। बाहरी लोग उनके यहां नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि डॉ कादिर परवेज उनके यहां अल्ट्रासाउंड करते हैं।
डॉ कादिर से बात करने पर पता चला कि वे 8-10 लोगों का अल्ट्रासाउंड ही इस महीने में किए हैं। इन आठ लोगों की विवरणी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र देने में असफल रहा। जानकारी यह भी मिली कि डॉक्टर कादिर ने इस केंद्र से अपनी संबद्धता रद्द करने के लिए सिविल सर्जन को पहले ही आवेदन दिया हुआ है।
ऐसी संदिग्ध स्थिति में मामले को गंभीर समझते हुए एहतियात के तौर पर इस केंद्र में भी सिविल सर्जन के स्तर से जांच होने तक के लिए ताला डलवाते हुए चाबी उक्त अयूब अंसारी को ही अंडरटेकन के साथ दे दी गई।
नवादा मोड़ के पास स्थित एमजीएम अस्पताल के अल्ट्रासाउंड केंद्र की भी जांच की गई। जांच के क्रम में ज्ञात हुआ कि यहां भी डॉक्टर परवेज ही अल्ट्रासाउंड करते हैं, किंतु डॉक्टर परवेज ने फोन पर एसडीएम को बताया कि वे हफ्ता 15 दिन में ही यहां आते हैं। हालांकि रजिस्टर में एसडीएम को 25 जुलाई तक लगातार अल्ट्रासाउंड होने का विवरण पाया गया।
पूछताछ में अस्पताल संचालक ने सीधे-सीधे बता दिया कि वे डॉक्टर की बजाय अपने किसी टेक्नीशियन से ही अल्ट्रासाउंड कराते हैं, जिसे अस्वीकार्य और संदिग्ध मानते हुए एसडीएम में उक्त केंद्र को भी जांच होने तक अंतिम रूप से बंद करवा दिया।
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