
- भोले बाबा के दरबार में टेका मत्था, क्षेत्र के सुख समृद्धि की कामना की
आशीष कुमार वर्मा
चक्रधरपुर। गोइलकेरा के महादेवशाल धाम में रविवार को श्रावणी मेले का विधिवत उद्घाटन हुआ। सिंहभूम की सांसद जोबा माझी ने फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया। अतिथियों ने इस मौके पर बाबा भोलेनाथ के दरबार में मत्था टेका और प्रसाद ग्रहण किया।
उधर, पहली सोमवारी पर महादेवशाल धाम में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ेगी। इसको लेकर महादेवशाल सेवा समिति और प्रशासन द्वारा रविवार को ही आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रविवार होने के कारण भी मंदिर में भक्तों की भीड़ रही। दूर-दराज से आए सैकड़ों शिवभक्तों ने भी कतारबद्ध होकर जलाभिषेक किया।
बीडीओ विवेक कुमार और थाना प्रभारी ने समिति के पदाधिकारियों के साथ श्रद्धालुओं को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया। इस बीच मंदिर व मेला परिसर में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मेले के उद्घाटन के दौरान सांसद जोबा माझी ने कहा कि महादेवशाल धाम में वर्षों से पूजा अर्चना होती आ रही है। यहां आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। झारखंड के अलावे अन्य दूसरे राज्यों से श्रद्धालु सावन महीने में यहां जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान भोलेनाथ श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरा करते हैं। सावन का महीना झारखंड में खुशहाली लेकर आये।
मौके पर जिला परिषद सदस्य ज्योति मेराल, महादेवशाल सेवा समिति के अध्यक्ष सह प्रखंड विकास पदाधिकारी विवेक कुमार, सचिव रामचंद्र प्रसाद, प्रभारी राजेश चौरसिया, सदस्य सुधीर बाजपेई, राकेश चौरसिया, बजरंग प्रसाद, सीताराम बेसरा, दिनेश गुप्ता, आलोक रंजन सिंह, सुधीर मिश्रा, पवन कुमार, मुनमुन चौरसिया, अकबर खान, सुमित सेन, संतोष मिश्रा, किशोर दास आदि उपस्थित रहे।
खंडित शिवलिंग की होती है पूजा
गोइलकेरा प्रखंड का महादेवशाल धाम पहाड़ों के बीच बसा है। सुन्दर मनोरम पहाड़ियों के किनारे स्थित महादेवशाल धाम में वैसे तो रोजाना श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां खंडित शिवलिंग की वर्षों से पूजा होते आ रही है।
बताया जाता है कि अंग्रेजों के शासनकाल में जब बंगाल नागपुर रेल लाइन बिछाने का कार्य व सुरंग निर्माण का कार्य चल रहा था, उसी दौरान एक मजदूर ने शिवलिंग रुपी पत्थर देखा। इस बीच मजदूरों ने उस स्थान पर खुदाई व काम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी ने पत्थर को मजदूरों से हटाने को कहा, लेकिन मजदूरों ने सीधे तौर पर मना कर दिया।
इसके बाद इंजीनियर रॉबर्ट हैनेरी ने स्वयं फावड़ा उठाकर पत्थर को हटाने की कोशिश करते हुए उस पर वार कर दिया। इससे शिवलिंग का एक हिस्सा टूट गया और इसी दौरान रॉबर्ट हैनेरी की भी मौत हो गई। इसके बाद सुरंग का रास्ता बदलना पड़ा और उस स्थान पर मंदिर का निर्माण कर पूजा अर्चना शुरु कर दिया गया।
यहां पूजा अर्चना के लिए झारखंड के विभिन्न हिस्सों के अलावे झारखंड से सटे ओडिशा, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां प्रत्येक वर्ष सावन महीने में मेले का भी आयोजन किया जाता रहा है। सावन महीने में महादेवशाल धाम में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का भी ठहराव दिया है।
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