
रांची। झारखंड हाईकोर्ट में राज्य स्तरीय मध्यस्थता निगरानी समिति और झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) की बैठक हुई। दोनों के संयुक्त प्रयास से 800 से अधिक ऐसे मामलों की पहचान की गई, जिन्हें मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।
बैठक का आयोजन उच्च न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में किया गया। इसकी अध्यक्षता झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने की। उनके साथ राज्य स्तरीय मध्यस्थता निगरानी समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अनिल कुमार चतुर्वेदी और सदस्य न्यायमूर्ति प्रतीप कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।
बैठक में बताया गया कि जिन मामलों की पहचान की गई है, उनमें से 9 मामलों को मध्यस्थता के लिए भेजने के लिए संबंधित पक्षकारों की सहमति प्राप्त कर ली गई है। इसके साथ ही यह प्रक्रिया प्रतिदिन जारी रखने और सभी पक्षकारों को विशेष मध्यस्थता अभियान के बारे में जानकारी देने का प्रस्ताव पारित किया गया।
यह भी तय किया गया कि लंबित मामलों के पक्षकारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के समन्वय से नोटिस जारी किया जाएगा। इससे वे मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहित हों।
बैठक के अंत में यह घोषणा की गई कि इन प्रस्तावों पर हुई कार्रवाई की समीक्षा के लिए बैठक 14 जुलाई 2025 को आयोजित की जाएगी। बैठक में उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता, एससीएमएस, एचसीएलएससी और झालसा के सदस्य सचिव भी उपस्थित रहे।
यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को तेज, सुलभ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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