- मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन
आनंंद कुमार सोनी
लोहरदगा। झालसा रांची के निर्देश और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, डालसा (लोहरदगा) के मार्गदर्शन में 26 जुलाई, 2025 को सिविल कोर्ट परिसर स्थित सभागार में एक दिवसीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सिविल जज सीनियर डिविजन टू सह जेएम प्रथम क्लास अभिषेक कुमार, एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुमन कुमार, डिप्टी चीफ एलएडीसीएस नारायण साहू, मेडिकल ऑफिसर सदर अस्पताल दीप्ति मल्लिका कुजूर, सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन श्रीमती कुंती साहू उपस्थित रहे।
कार्यशाला में सिविल जज सीनियर डिविजन टू सह जेएम प्रथम क्लास ने कहा कि पॉक्सो के मामले के आईओ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि पीड़िता की पहली मुलाकात आईओ से होती है। आईओ की पीड़िता के प्रति रवैया और व्यवहार केस को नई दिशा देती है। उन्होंने केस पर चिकित्सक, न्यायालय, लोक अभियोजक, डालसा सहित अन्य एजेंसियों की भूमिका के बारे में बताया।
अभिषेक कुमार ने कहा कि सखी वन स्टॉप सेंटर काफी अच्छी विचार है। जांच के क्रम में पीड़िता को कई दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। यदि सखी वन स्टॉप सेंटर में ही पीड़िता की जांच की सभी प्रक्रिया की जाए तो काफी अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि हमें पीड़िता के पुनर्वास के बारे में भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
अभिषेक कुमार ने बताया कि इस तरह के राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसमें साल भर के किए गए कार्यों का डाटा तैयार किया जाता है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में सभी राज्य से पदाधिकारी पहुंचते है। जहां सर्वोच्च न्यायालय के तत्वावधान में सभी विषयों पर विचार करते हुए चर्चा की जाती है कि पोक्सो एक्ट को कैसे अच्छी तरह से बेहतर कर सकते है। जेजे एक्ट में कैसे अच्छी तरह से कार्य कर सकते है।

डॉ दीप्ति मल्लिका कुजूर ने कहा कि घटना के तुरंत बाद यदि पीड़िता को चिकित्सीय जांच के लिए लाया जाता है तो अधिक से अधिक साक्ष्य एकत्र हो पाते हैं। किसी कारणवश चिकित्सीय जांच के लिए देर से लाने पर साक्ष्य सही से एकत्र नहीं हो पाता है। इसलिए प्रयास किया जाए कि पीड़िता को चिकित्सीय जांच के लिए जल्द से जल्द लाया जाए।
एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और डिप्टी चीफ एलएडीसीएस ने कार्यशाला में उपस्थित आईओ को पॉक्सो मामले में पुलिस द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान के बारे में विस्तार से बताया। मामले पर अच्छे से साक्ष्य संग्रह करने व एफआईआर को सही और अच्छे ढंग से लिखने की बात कही, ताकि मामले को लेकर किसी प्रकार की समस्या नहीं हो। उन्होंने आईओ के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
कार्यशाला में जिले में प्रतिनियुक्त विभिन्न थानों के पुलिस अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिधि एवं अर्ध न्यायिक स्वयंसेवकों ने भी हिस्सा लिया।
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