
रांची। प्राचीन काल से गुरु हमारे जीवन को प्रभावित करते रहे हैं। माता पिता, शिक्षक, धर्मगुरु का हमारे जीवन पर व्यापक प्रभाव होता है। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर रांची में पहानों को सम्मानित किया। उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहीं। वे गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति, धुर्वा के तत्वावधान में 10 जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
श्री दास ने कहा कि हमारे यहां पहान, मानकी-मुंडा, मांझी-परगनेत प्रकृति और संस्कृति के रक्षक हैं। इनका सम्मान कर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा हूं। झारखंड के आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है। ये झारखंड की प्रकृति और संस्कृति की रक्षा के लिए जीवन खापा रहे हैं।
श्री दास ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों में प्राकृतिक संसाधन, संस्कृति पर चौतरफा हमला हो रहा है। आज कोयला, बालू, पत्थर की खुलेआम लूट हो रही है। घर बनाने के लिए आदिवासी समाज के लोगों को भी बालू नहीं मिला रही है। प्रकृति ने झारखंड पर जमकर वैभव लुटाया। राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का यहां विकास में उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन ये सिंडिकेट द्वारा लूटे जा रहे हैं।
इसी तरह विदेशी धर्म के द्वारा हमारी संस्कृति पर भी हमला हो रहा है। राज्य में धड़ल्ले से धर्मांतरण हो रहा है। संथाल परगना में एसपीटी जैसे कड़े कानून के बावजूद अवैध घुसपैठियों द्वारा लव जिहाद और भूमि जिहाद किया जा रहा है और झारखंड सरकार चुप बैठी है। आदि संस्कृति को बचाने के लिए समाज के पढ़े लिखे लोग आगे आना होगा।
श्री दास ने कहा कि झारखंड में विदेशी धर्म के दबाव में सरकार पेसा कानून लागू नहीं कर रही है। पेसा कानून लागू हुआ तो रूढ़िवादी व्यवस्था को माननेवाले लोग ग्राम प्रधान बनेंगे। गांव के विकास का जिम्मा ग्राम समिति के पास होगा। बालू घाट, तालाब, वनोपज जैसे कार्यों का अधिकार ग्राम सभा के पास आ जाएगा।
इससे ग्राम सभा को आमदनी भी होगी और बालू, पत्थर आदि की लूट पर भी रोक लगेगी। केंद्र सरकार के मिलेवाले 15वे वित्त आयोग का 1400 करोड़ रुपये का फंड मिलेगा। ग्राम सभा का स्वशासन आएगा। जल, जंगल, जमीन सुरक्षित होंगे।
कार्यक्रम में पहान कंचन होरो, पहनाई परनो होरो, पहनाई सुमनी, पहान अभय, तीतराम उरांव, मेघा उरांव, बलराम सिंह, उमेश यादव समेत बड़ी संख्या में गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।
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