
हजारीबाग। आंखें पथरा गई। आंखों के आंसू भी सूख गए, लेकिन दुबई से रामेश्वर महतो का शव नहीं आया। परिजन प्रतिनिधि से लेकर अफसरों से गुहार कर चुके। इसके बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला।
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र की जोबर पंचायत के बंदखारों निवासी मदन महतो के 38 वर्षीया पुत्र रामेश्वर महतो कुवैत में कमाने गया था। पिछले 15 जून को वहां उसकी मौत हो गई। घटना को एक महीने से बीत गए, लेकिन अब तक उसका शव नहीं लाया जा सका। परिजन पथराई आंखों से शव के आने का इंतजार कर रहे हैं।
रामेश्वर महतो का शव आज भी कुवैत के अस्पताल की मोर्चरी में बर्फ पर सुरक्षित रखा गया है। उनकी ओर से शव लाने को लेकर संबधित शपथ-पत्र सहित जरूरी दस्तावेज भिजवा दिए हैं। इसके बावजूद अब तक शव नहीं आ पाया है। ना ही मुआवजे की राशि मिल पायी हैं।
मृतक रामेश्वर की पत्नी प्रमिला देवी अपने पति का शव नहीं आने से काफी परेशान हैं। वह रो-रोकर बार-बार बेहोश हो जाती हैं। परिवार के पालन-पोषण का भी संकट खड़ा हो गया हैं। रामेश्वर अपने परिवार में एकमात्र कमाऊ व्यक्ति था।
बता दें कि वह आईएमसीओ नामक ट्रांसमिशन कंपनी में फीटर के रूप में बीते 10 वर्षों से कार्यरत थे। कुवैत में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे अपने पीछे पत्नी प्रमिला देवी, पुत्र किशोर कुमार, कुलदीप कुमार समेत मां डलवा देवी को छोड़ गए हैं।
प्रवासी मजदूरों के हित में कार्यरत समाजसेवी सिकन्दर अली लगातार इस मामले में संबंधित अधिकारियों और संस्थानों से संपर्क में हैं। उन्होंने बताया कि गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जैसे जिलों से बड़ी संख्या में लोग देश-विदेश में मजदूरी के लिए जाते हैं, लेकिन घटना होने पर मुआवजे और शव वापसी की प्रक्रिया बेहद जटिल हो जाती है।
श्री अली ने कहा कि ऐसे मामलों में सरकार को ठोस और त्वरित कदम उठाने चाहिए ताकि मृतक के परिजनों को समय पर न्याय, सम्मानजनक विदाई और आर्थिक सहायता मिल सके।
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