राज्यपाल तक पहुंची फार्मेसी काउंसिल की अनियमितता की शिकायत

झारखंड
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  • जेएलकेएम के पदधारियों ने सौंपा ज्ञापन

रांची। झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल की अनियमितता व भ्रष्टाचार का मामला राज्‍यपाल तक पहुंच गया है। जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ महतो ने इस मामले में 27 जुलाई को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।

मौके पर देवेन्द्र नाथ महतो ने बताया कि झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल में अनियमितता और भ्रष्टाचार से व्याप्त है। इस बाबत समुचित कार्रवाई के लिए 19 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह से संगठन ने लिखित ज्ञापन सौंपते हुए विस्तृत जानकारी साझा की है।

काउंसिल के समक्ष 23 जुलाई, 2025 को धरना प्रदर्शन भी किया। हमारे संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष व डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो ने मुख्यमंत्री से सीधा पत्राचार किया। बजट सत्र में शून्य काल दौरान उक्त मामले को संज्ञान में भी लाया। हालांकि अब तक कोई विभागीय ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

राज्यपाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कारवाई करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में देवेन्द्र नाथ महतो, रविन्द्र नाथ महतो, लक्की रामू राज,  गुलाम सरवर, विनय कुमार, आशीष चौधरी, पंकज कुमार शामिल थे।

इन मांगों पर कार्रवाई करने की मांग

वर्तमान गैरसरकारी औपबंधिक निबंधक सह सचिव (प्रशांत कुमार पांडे) का कार्यकाल 13 अप्रैल, 2025 को समाप्त हो गया है। इसके बाद भी पद पर आसीन होकर कई भ्रष्टाचार व अनियमितता जारी रखे हुए हैं। इनके संपूर्ण कार्यकाल के सर्विस रिकॉर्ड की जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए।

(इनके कार्यकाल में 500 से ज्यादा फार्मासिस्ट का निबंधन कराया गया है। प्रशांत कुमार पांडे बिहार एवं झारखंड दो राज्य के फार्मासिस्ट काउंसिल से निबंधित हैं। यह फार्मेसी एक्ट 1948 के धार 32 (2) और 42 का उल्लंघन है।)

काउंसिल में अध्यक्ष, सचिव व अन्य सदस्यों का मनोनयन मूल झारखंडी फार्मासिस्ट को ही किया जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। (गैर सरकारी एवं गैर फार्मासिस्ट विमलेश दुबे और गैर सरकारी धर्मेंद्र सिंह सहित पांच सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया चल रही है। ये सभी गैर सरकारी हैं)

काउंसिल के पूर्व निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए। (चूंकि निर्वाचन प्रक्रिया में फर्जी तरीके से पत्राचार करने का आरोप है।)

आगामी काउंसिल के निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया किसी स्वतंत्र आयोग द्वारा प्रत्यक्ष व पारदर्शी तरीके से कराई जाए।

राज्य के कई फार्मेसी महाविद्यालय पीसीआई के मापदंडों का अनुपालन नहीं करते हैं। इसके बाद भी लगातार काउंसिल के संरक्षण में गलत तरीके से संचालित हो रहे हैं। इसकी जांच की जाए।

निर्वाचित सदस्य धर्मेंद्र सिंह फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी हैं। फर्जी तरीके से कॉलेजों को मान्यता प्रदान करने के मामले पर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में उनके आरोपित होने की सूचना है। जांच करते हुए उनकी सदस्यता रद्द की जाए।

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