
- इलाज के दौरान दर्दनाक मौत
आशीष कुमार वर्मा
चाईबासा। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के घने सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा पूर्व में लगाए गए आईईडी विस्फोट का दर्दनाक असर अब वन्यजीवों पर भी दिखने लगा है। इसी कड़ी में एक मासूम हाथी की शनिवार देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसने वन विभाग और पशु प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है।
घटना समठा वन क्षेत्र के तिरिलपोशी इलाके की है, जहां सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए आईईडी की चपेट में एक हाथी आ गया था। विस्फोट में उसका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था। पूरे शरीर में संक्रमण तेजी से फैलने लगा था। उपचार के तमाम प्रयासों के बावजूद शनिवार रात को उसने दम तोड़ दिया।
सूचना मिलने के बाद आरसीसीएफ (जमशेदपुर) स्मिता पंकज और डीएफओ (सारंडा) अविरुप सिन्हा के नेतृत्व में झारखंड और ओडिशा वन विभाग एवं पशु कल्याण संस्था वनतरा (जामनगर, गुजरात) की टीम ने संयुक्त रूप से सघन तलाशी अभियान चलाया। आठ दिनों की कठिन मशक्कत के बाद घायल हाथी को खोजा गया और जराईकेला लाया गया, जहां उसका इलाज शुरू किया गया।
हाथी की हालत बेहद गंभीर थी। उसके इलाज के लिए जंगल में ही अस्थायी टेंट और जरूरी दवाएं पहुंचाई गई थीं। सेडेटिव इंजेक्शन देकर उसे बेहोश कर उपचार शुरू किया गया, लेकिन पैर की गहरी चोट और तेजी से फैलते संक्रमण ने उसकी जान ले ली। वनतरा की विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की टीम और वन विभाग के कर्मी लगातार उसकी देखरेख में जुटे रहे।
यह घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण की गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि मानव हिंसा का दंश अब निर्दोष जानवर भी झेल रहे हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर नई रणनीति और गंभीर पहल की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।
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